न जांच, न स्‍पष्‍टीकरण। बस बर्खास्‍त हुआ हिन्‍दुस्‍तान का रिपोर्टर

सैड सांग

: मैनेजमेंट से जुड़े शख्‍स का नाम आते ही हाथ-पांव फूल जाते हैं सम्‍पादकीय प्रमुखों के, कांपने-थरथराने लगते हैं दिग्‍गज : आदमी का मेरठ संस्‍करण के एचआरडी प्रमुख के बड़े भाई और शराब व्‍यवसायी को दलित-एक्‍ट से बरी कराने पर हुई थी डील : सवाल यह कि एक अदने से रिपोर्टर से कैसे डील करने लगा था बड़ा मैनेजर :

कुमार सौवीर

लखनऊ : (गतांक से आगे) वह दौर चला गया, जब हिन्‍दुस्‍तान के सम्‍पादक तो दूर, एक अदने से रिपोर्टर तक के नाम से लोग हांफने-कांपने लगते थे। वजह यह हुआ करती थी कि तब हिन्‍दुस्‍तान की सम्‍पादकीय टीम सिर्फ खबरों को ही डील किया करती थी, पूरी ईमानदारी के साथ। लेकिन अब खबरों की गंगा का स्‍वरूप गटर-नाले से ज्‍यादा बदबूदार हो चुका है। सच बात तो यह है कि अब मैनेजमेंट से जुड़े किसी भी शख्‍स का नाम तक आते ही इस अखबार के सम्‍पादकीय प्रमुखों के हाथ-पांव फूल जाते हैं, और वे ऐसे दिग्‍गज पत्रकार और सम्‍पादक तक कांपने-थरथराने लगते हैं। यह बड़े पत्रकार गलत-सलत काम-धंधे तक में लिप्‍त हो जाते हैं। देवरिया में एक मैनेजर और शराब व्‍यवसायी को पुलिस से बचाने के लिए हिन्‍दुस्‍तान के एक रिपोर्टर ने अपनी जान लगा दी। लेकिन जब काम नहीं हो पाया, तो उस रिपोर्टर को मां-बहन की गालियां भी दी गयीं, और बाद में उसे 40 हजार रूपयों की दलाली का आरोप लगा कर बर्खास्‍त कर दिया गया।

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देवारण्‍य

बताते हैं राजन सिंह ने स्थानीय पुलिस क्षेत्राधिकारी से इस बारे में बातचीत की और लेकिन सीओ ने इस मामले को बाद में देखने का आश्वासन दिया। क्योंकि उसी इसी दौरान उसकी ड्यूटी वाराणसी में प्रधानमंत्री की यात्रा में लग गई थी। वहां से लौटने के बाद रामनारायण तिवारी और उसके पिता व भाई ने फिर राजन सिंह से पूछा। राजन सिंह को सीओ ने बताया कि इस समय दशहरा मुहर्रम जैसे मौके और पर्व को लेकर पुलिस बहुत व्यस्त हैं इसलिए दशहरे के बाद ही हम काम फाइनल हो पाएगा। लेकिन इस बीच तकरीबन 15 दिन हो चुके थे और राम नारायण तिवारी का हौसला पस्त होता जा रहा था। इसलिए तिवारी ने राजन सिंह अपनी रकम वापस करने को कहा। लेकिन बताते हैं कि राजन सिंह ने यह रकम देने से इंकार कर दिया और कहा कि वह एकदम यह काम हर हालत में करा देंगे। लेकिन रामनयन तिवारी बहुत नाराज थे उन्होंने राजन सिंह को फोन पर मां-बहन की गालियां देना शुरू कर दिया।

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आपको बता दें कि रामनारायण तिवारी के छोटे भाई प्रभाकर तिवारी उर्फ पीएन तिवारी हिंदुस्तान अखबार के मेरठ एडिशन में एचआरडी पर बड़े पद पर हैं। इसलिए उन्होंने कई बार राजन सिंह से यह काम करने का दबाव डाला, लेकिन 2 तारीख को जब अति हो गई तो आखिरकार पीएन तिवारी ने हिंदुस्तान के गोरखपुर एडिशन के संपादक आशीष त्रिपाठी से शिकायत कर डाली। आशीष तिवारी ने लखनऊ के सम्‍पादक केके उपाध्‍याय से बातचीत की, और सूत्र बताते हैं कि उसी दिन राजन सिंह की फाइनल विदाई देवरिया के हिंदुस्तान कार्यालय से कर दी गई।

लेकिन हैरत की बात है कि तकरीबन 15 दिन तक चलती रही इस बड़ी डील को फाइनल कराने के लिए राजन सिंह, पीएन तिवारी और उनका बड़ा भाई रामनारायण तिवारी लगातार कोशिश करते रहे। लेकिन देवरिया के ब्यूरो चीफ वाचस्‍पति मिश्र को पता ही नहीं चल पाया। स्‍थानीय अखबारों और राजनीति से जुड़े कई प्रमुख लोगों के गले से नीचे यह बात नहीं उतर रही है। अपना नाम न प्रकाशित करने के अनुरोध एक पत्रकार ने बताया कि वाचस्पति मिश्र का इस मामले में व्यवहार संदेहजनक रहा है। एक अन्य स्थानीय पत्रकार ने बताया हिंदुस्तान प्रशासन को चाहिए कि वे देवरिया में अपने रिपोर्टरों और ब्यूरो चीफ की गहरी जांच करायें।

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पत्रकार पत्रकारिता

लेकिन हैरत की बात है कि जब प्रमुख न्यूज पोर्टल www.meribitiya.com के संवाददाता ने जब देवरिया हिंदुस्तान के ब्यूरो चीफ वाचस्पति मिश्र से इस बारे में बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने किसी भी सवाल का कोई भी जवाब देने से साफ इनकार कर दिया। काफी कोशिशों के बावजूद गोरखपुर एडीशन के स्‍थानीय सम्‍पादक आशीष त्रिपाठी से भी बात नहीं हो पायी। (क्रमश:)

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