Badge nahin hae rajat sharma, iktarafa reporting kyun ki

बिटिया खबर

सैयद अख्तर अली

एक बार मान लिया जाए कि जूनियर रिपोर्टर के सामने नौकरी बरकरार रखने के लिए झूठ का सहारा लेना मजबूरी हो सकती है। लेकिन रजत शर्मा जैसे मीडिया टायकून के सामने कौन सी मजबूरियां हैं जो दर्शकों के सामने झूठ परोस रहे हैं? उन्होंने सफाई कर्मियों और पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता, उनके ऊपर कूड़ा फेंकने और थूकने को लेकर लंबी चौड़ी खबर चलाई। खबर के बीच में सफाई कर्मियों को कैमरे पर यह कहते दिखाया कि उनके ऊपर समुदाय विशेष की कॉलोनी में लोगों ने कूड़ा फेंका और थूका। लेकिन जिनके ऊपर थूकने और कूड़ा फेंकने का आरोप लगाया गया उनका पक्ष जानने का प्रयास नहीं किया ना ही सफाईकर्मियों की भांति उनकी बाइट दिखाई। यदि ऐसा कुछ हुआ है तो मैं ऐसे किसी कृत्य को सही ठहराने का प्रयास नहीं कर रहा हूं, बल्कि ऐसी किसी हरकत की मैं कड़ी भर्त्सना करूंगा लेकिन पुष्टि होने के बाद। अब स्वाभाविक रूप से ये सवाल उठता है कि रजत शर्मा ने एकतरफा खबर क्यों चलाई? रजत शर्मा की यह जिम्मेदारी बनती है की इतने गंभीर विषय पर दावे के साथ कोई आरोप लगाने के पहले उसकी पुष्टि कर लेते। वो, कम से कम जिस पक्ष के ऊपर इतना गंभीर आरोप लगा रहे हैं और दर्जनों नसीहत दे डाली उनका पक्ष भी दिखा देते। कम से कम उनकी बाइट दर्शकों को दिखा देते इससे दर्शकों को अनुमान लगाने में सहूलियत होती कि खबर में कितनी सच्चाई है। मीडिया का यह सिद्धांत है कि कोई भी खबर चलाने के पहले दोनों पक्ष को सुना जाता है। रजत शर्मा कोई जज नहीं है जो उन्होंने सीधे-सीधे एक पक्ष को कटघरे में खड़ा कर दिया, उनको कुछ बोलने का मौका भी नहीं दिया, और सीधे-सीधे आरोप लगा दिए। मीडिया का काम है सच को दिखाना, दोनों पक्ष को दिखाना, दोनों पक्ष की बातें जनता के सामने लाना। एक तरफा रिपोर्टिंग करने का मतलब दर्शकों को सच से महरूम रखकर अजेंडा जर्नलिज़्म को बढ़ावा देना है। रजत शर्मा जैसे अत्यंत वरिष्ठ पत्रकार को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनकी फैन फॉलोविंग करोड़ों में है और ऐसी गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग के चलते पहले से साख का संकट झेल रहे इलेक्ट्रॉनिक चैनल की विश्वसनीयता और नीचे चली जायेगी।

 

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