अमर उजाला ने थूक कर चाटा, मगर खंडन नहीं छापा

सैड सांग

: वाराणसी के अमरउ जाला अखबार ने दोबारा खबर छापकर दिया स्पष्‍टीकरण : आदमपुर इलाके में एक निरीह व्‍यक्ति को पुलिस ने भाजपा नेता के दबाव में हवालात में बंद रखा : आपसी झगड़े को रंगदारी के तौर पर भाजपा सभासद ने किया था जमकर हंगामा :

मेरी बिटिया संवाददाता

वाराणसी : यहां के अमर उजाला अखबार ने पहले तो एक सिरे से झूठी खबर छाप डाली। मामला था एक दबंग भाजपा सभासद की करतूत का, जिसे रिपोर्टर ने सभासद के पक्ष में रचा-बुना और एक निरीह-निर्दोष व्‍यक्ति को रंगदारी मांगने वाले शख्‍स की तरह पेश कर दिया। लेकिन जब इस बात पर हंगामा हुआ, तो सम्‍पादक ने उस घटना का स्‍पष्‍टीकरण तो छाप दिया, लेकिन उस घटना पर क्षमा-याचना नहीं की।

बताते हैं कि इस मामले पर खूब हंगामा हो रहा है। वैसे जब यह खबर छपी थी, तब उसी दिन पीडि़त पक्ष ने अमर उजाला के संपादकों से सम्‍पर्क किया, तो पता चला कि सम्‍पादक से भेंट नहीं हो सकती है। इस पर पीडि़त पक्ष ने सम्‍पादक को विभिन्‍न माध्‍यमों से यह घटना का ब्‍योरा भिजवा दिया। इतना ही नहीं, यह भी चेतावनी भी दे दी गयी कि अगर इस खबर का खण्‍डन नहीं छापा गया तो इस मामले को सीधे अदालत में घसीट लिया जाएगा।

आपको बता दे कि थाना आदमपुर इलाके में दो पक्षो के विवाद में पार्षद ने बीचबचाव किया था लेकिन पार्षद ने इसका फायदा उठाते हुए रंगदारी का रूप दे दिया था पार्षद के करीबी मित्र जितेन्द्र व तुसार के बीच लेनदेन का मामला था लेकिन पार्षद ने अपने सत्ता का फायदा उठाकर अपने ही क्षेत्रीय जनता के ऊपर रंगदारी के मामले में तहरीर दिया फिर देर रात समझौता कर लिया गया। इस बात को अमर उजाला को दूसरे दिन सफाई देना पड़ा। अब देखने वाली बात यह है कि पार्षद के पक्ष में एक झूठी खबर लिखने के पीछे रिपोर्टर ने पैसे के लालच में यह किया था, या फिर फिर केवल दोस्ती का फायदा उठाकर तहरीर दिया। लेकिन कुछ भी हो, यह घटना थी बेहद शर्मनाक। लेकिन इस मामले को अमर उजाला ने सिरे से ही अपनी चुप्‍पी बनाये रखी है।

मतलब यह कि अमर उजाला प्रबंधन भी अब खबरों पर किसी भी तरह का समझौता कर बैठने को तैयार हो चुका है।

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