अखिलेश यादव ने नौकरों वाला काम खुद थाम लिया, तो सारे नौकर मस्‍त हो गये

सैड सांग

: सपा कभी भी नहीं समझेगी कि सबसे जरूरी होता है सिस्‍टम रिफार्म, विकास अपने आप हो जाता है : हमें शांति से रहने दो, किस भकुआ ने कहा था कि विकास करो : यूपी को विकास की नहीं, बल्कि बेहतर व्‍यवस्‍था की जरूरत है : तुम साइकिल ट्रैक बना रहे हो, हाईवे पर बच्चियों से बलात्‍कार हो रहा है : तुम यूपी में नराधम अपराधियों के लिए उत्‍तर प्रदेश में जघन्‍य अपराध और दुर्दांत अपराधी पैदा कर रहे हो अखिलेश यादव : अपराधियों की सरकार, अपराध के लिए सरकार (एक)

कुमार सौवीर

लखनऊ : बुलन्‍दशहर में 14 साल की मासूम बच्‍ची के साथ दरिंदों ने जिस तरह अपनी हवस पूरी की है, उसके लिए अपराधी या पुलिस-प्रशासन नहीं, बल्कि सीधे-सीधे सरकार ही जिम्‍मेदार है। न जाने किस झोंक में समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी ऐलान में विकास का झण्‍डा उठा लिया, पूरा प्रदेश त्राहि-माम कर चुका। केवल अपराधी ही नहीं, सरकार में बैठे सपाई और खुद अफसर ही अब अपराध में लिप्‍त होते दिख रहे हैं।

राजनीति को समझने वाले वरिष्‍ठ प्रशासनिक और पुलिस विभाग के आला अफसर भी पूरी शिद्दत के साथ यह मानते हैं कि सरकार का काम विकास करना नहीं होता है। जबकि किसी भी सरकार का दायित्‍व केवल सिस्‍टम्‍स रिफार्म और सोशल रिफार्म पर काम करने  का होता है। यह काम जो जाए तो विकास तो अपने आप ही हो जाता है। विकास करने के लिए सरकार की नहीं, सरकारी नौकरों की पहले से ही मौजूद एक विशाल टीम होती है। उसे नौकरी और तनख्‍वाह ही इसी बात की दी जाती है कि वह विकास के साथ ही साथ सरकार की नीतियों को लागू करे। और यह नी‍तियां होती हैं सिस्‍टम, और सोशल रिफार्म की।

यह बात समाजवादी पार्टी कभी भी नहीं समझ पायेगी, कि सरकार का इकलौता काम होता है सिस्‍टम रिफार्म और सोशल रिफार्म। इसके बाद जब भी वक्‍त बचता है, उसका इस्‍तेमाल सरकार अपने नौकरों को नाथने, सुधारने और दंडित करने में लगाती है। मसलन किसी नौकर की तारीफ करना, उसे सस्‍पेंड करना, उसे दंडित करना, उसका वेतन रोकना, उसका तबादला करना, वगैरह-वगैरह। जब किसी भी समाज में सामाजिक सुधार और व्‍यवस्‍था सुधार का काम शुरू हो जाता है, तो विकास कार्य तो अपने आप ही शुरू हो जाते हैं। अरे यार, हमें शांति से रहने का माहौल दे दो न, तुम्‍हें किस भकुआ ने कहा था कि विकास करो। अरे सरकार विकास करती नहीं, विकास कराती है यार। और आज तो बहुत ही मोड़ पर तुम यूपी को खड़ा कर चुके हो, तुमने जिसे बिगाड़ने में जितने साढ़े चार साल लगाये हैं, उसे सुधारने में अब किसी प्रतिबद्ध सरकार को कम से कम बीस साल लगेंगे।

यह कलंक कैसे मिटाओगे तुम अपने माथे पर अखिलेश यादव। कब समझोगे कि आज यूपी को विकास की नहीं, बल्कि बेहतर व्‍यवस्‍था की जरूरत है। तुम दावा करते हो कि यूपी को बिजली की किल्‍लत खत्‍म की जाएगी, लेकिन उस दिशा में तुम कुछ भी नहीं करते हो। बस डींगे हांकते हो कि आगरा से लखनऊ तक एक्‍सप्रेस वे बनाओगे। मैं पूछता हूं कि यह किस लिये। केवल इसीलिए कि न, कि  तुम और तुम्‍हारा खानदान ढाई घंटे में इटावा से लखनऊ पहुंच जाए। जरा प्रदेश के बाकी इलाकों की सड़कों पर एक निगाह डालो न।

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