: कांग्रेस से निकाले जा चुके हैं अखिलेश : सिंगापुर में ब्लड-कैंसर का इलाज में जुटे अखिलेश के राजनीतिक दारोमदार अब अदिति सिंह सम्भालेगी : हिन्दुस्तान ने लिया प्रचार करने का ठेका, भारी विज्ञप्तियां छपना शुरू :
कुमार सौवीर
लखनऊ : रायबरेली के शहर विधायक और घाट-घाट का पानी पीने के लिए विख्यात अखिलेश सिंह ने अपनी राजनीतिक धमक बनाये रखने के लिए जुगत भिड़ाने शुरू कर दी है। आजकल अपनी गम्भीर स्वास्थ्य दिक्कतों से घिरे अखिलेश ने तय किया है कि वे अपनी राजनीति का दायित्व अपनी बड़ी बेटी अदिति सिंह को थमायेंगे। इसके लिए हाल ही अखिलेश ने दिल्ली में अदिति सिंह को कांग्रेस की ज्वाइनिंग करा दी है। इतना ही नहीं, अदिति के प्रचार के लिए भी अखबारों में जगह दिलाने में भी अखिलेश ने मीडिया-मैनेजमेंट के तहत व्यापक खर्च और जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है। दैनिक हिन्दुस्तान ने तो अदिति की खबरों को गरमागरम यानी हॉट-केक के तौर पर बेचना शुरू कर दिया है।
आपको बता दें कि अखिलेशसिंह का नाम अपराध जगत में तो शुरू से ही जुड़ा हुआ था, लेकिन माफिया के तौर पर अखिलेश की पहचान सन-89 की एक शाम को लखनऊ के स्टेडियम के बाहर विश्वविख्यात बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या से शुरू हुई थी। इस हादसे में गोरखपुर के युवा खिलाड़ी सैयद मोदी को गोलियां बरसा कर छलनी कर दिया था। दिल दहला देने वाले इस काण्ड में अन्य अनेक अभियुक्तों के साथ अखिलेश सिंह का नाम भी जुड़ गया था। वैसे मूलत: तो यह हत्याकाण्ड तब के कांग्रेस-विरोधी खेमा के नेता संजय सिंह के इर्द-गिर्द ही रहा, जिसमें सीबीआई ने संजय सिंह को गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में इस मामले में संजय सिंह बरी हो गये और उसके बाद वे सीधे कांग्रेस में वापस लौट गये। इतना ही नहीं, इस हौलनाक हादसे में शामिल सभी अभियुक्तों और षडयन्त्रकारियों को भी सीबीआई की लापरवाह जांच और लचर पैरवी के चलते अदालत ने बाइज्जत रिहा करा दिया।
आपको बता दें कि इस हादसे में सैयद मोदी की पत्नी अमिता मोदी कुलकर्णी ने मुकदमे के दौरान ही, संजय सिंह से विवाह कर लिया था, और उसके साथ ही अमिता मोदी कुलकर्णी का नाम अमिता सिंह बन गया। अब अमेठी राजपरिवार में अमिता सिंह की ही तूती बजती है।
लेकिन इसी बीच अखिेलेश सिंह को राजनीति की ताकत को पहचान लिया था। इसके बाद अखिलेश ने कई-कई राजनीतिक दलों में अपना दांव चलाया। कई कोशिशों में अखिलेश को जीत मिल गयी, तो कहीं जोरदार दुलत्तियां। हाल ही उन्हें कांग्रेस ने अखिलेश को पार्टी से निकाल बाहर कर दिया। इसका किस्सा खासा रोचक है, लेकिन चूंकि लम्बा मामला है, इसलिए उस पर बातचीत बाद में होगी। लेकिन इतना जरूर है कि अखिलेशसिंह की तूती आज भी रायबरेली में खूब बजती है। अपराधी छवि तो खैर उनकी है ही, ठेकों में उनका दखल काफी है। इसी जनवरी-16 की एक शाम एक शादी समारोह के दौरान एक बीडीसी सदस्य की सरेआम गोलियां भून कर की गयी हत्या में भी जन-चर्चाओं के अनुसार अखिलेश का इशारा बताया जाता है। हालांकि यह भी चर्चा है कि इस बीडीसी की जीत में अखिलेश सिंह का आधार था। लेकिन इसके बावजूद उनके विधानसभा क्षेत्र में अखिलेश की प्रतिष्ठा एक मददगार नेता के तौर पर है।
बहरहाल, अखिलेश की बड़ी बेटी अदिति सिंह ने दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता हासिल कर ली। इस मौके पर अखिलेश सिंह भी वहां मौजूद थे। अदिति को कांग्रेस में शामिल कराने की बैठक में गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। बाद में अखिलेश की कोशिशों के चलते प्रियंका गांधी के साथ भी अदिति और उसकी छोटी बहन दिव्यांशी ने भी फोटो सेशन कराया।
आपको बता दें कि अदिति का राजनीति में शामिल होने का फैसला अजीबोगरीब माना जा रहा है। वजह यह कि अदिति 13 साल तक रायबरेली से दूर ही रही हैं। दस साल तक को मसूरी में एक पब्लिक स्कूल में पढ़ी है अदिति, और उसके बाद तीन साल तक अमेरिका प्रवास किया है उसने। वैसे खास बात यह है कि अदिति लगातार बेहद गम्भीर उम्मीदवार के तौर पर अपने चुनाव प्रचार में जुटी दिख रही हैं। खासकर तब, जब अखिलेशसिंह के धुर-विरोधी माने जाने वाले दिनेश सिंह और मनोज पांडेय की जुबान कुछ ज्यादा ही कतरनी की तरह चलती बतायी जाती है। कुछ भी हो, मेरी बिटिया डॉट कॉम ने रायबरेली के जिस भी मतदाता से बातचीत की, उनका साफ कहना था कि यह चुनाव अदिति सिंह के नाम ही है। बाकी सारे लोग तो केवल औपचारिकता के तौर पर ही चुनाव लड़ेंगे।
हालांकि अखिलेश सिंह इस समय ब्लड-कैंसर की बीमारी से बहुत बीमार हैं। लेकिन अपनी बिटिया को राजनीतिक समर में मुकाम दिलाने के लिए अखिलेश भरसक कोशिश करते बताये जाते हैं। इसी कवायद में अखिलेश सिंह ने मीडिया मैनेजमेंट को तगड़ा बनाना शुरू कर दिया है। हाल ही हिन्दुस्तान दैनिक में अदिति सिंह की एक बड़ी खबर इसी मैनेजमेंट का नतीजा बताया जाता है। खबर है कि अपने इस प्रयास के तहत वे भारी-भरकम खजाना लुटाने तक को भी तैयार हैं। इस पैकेज में रायबरेली से लखनऊ तक की खबरें छपवाने की कवायद शामिल की जाएगी।
रायबरेली के अखिलेश सिंह भले आज माननीय विधायक बने हों, लेकिन हकीकत तो यही है कि यही अखिलेश सिंह पर दुर्दान्त माफिया का तमगा टंका हुआ करता था। आम चर्चा थी कि अखिलेश जिसे पसंद नहीं करते, वह इस दुनिया में जिन्दा नहीं रह सकता। अखिलेश सिंह की खबरों को पढ़ने कके लिए निम्न लिंकों पर क्लिक कीजिएगा:-