18 साल बाद मोर्चा सम्भालने आयीं अमेरिकी सैनिक

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: सीरिया फौज ने भी बनायी कूटनीतिक लेडी-मिलिट्री : 14 लाख सैनिकों वाली फौज में 14 फीसदी हैं महिलाएं :

वाशिंगटन। अमेरिका अब युद्ध के मैदान में भी महिलाओं को लड़ने की इजाजत दे दी है। अब तक महिलाओं को मोर्चे पर भेजे जाने पर रोक लगी हुई है। इसे हटा दिया गया है। उधर खबर है कि सीरिया ने भी अपने यहां महिला सेना बनायी है, लेकिन यह फैसला कू‍टनीतिक बताया जाता है। क्योंकि अपनी इस लेडी-फोर्स को मोर्चे पर सबसे पायदान में तैनात किया जाएगा। सीरिया का मानना है कि इस तैनाती के बाद अगर लेडी-फोर्स को कोई चोट पहुंचती है तो वह पूरे विश्वदृश्य पर अपने दमन का संदेश बेहतर तरीके से फैला सकेगा।

अमेरिकी फौज ने अपने यहां महिला सैनिकों को लड़ाई के मोर्चा पर तैनात करने का फैसला कर लिया है। रक्षामंत्री लियोन पनेटा ने गुरुवार को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन मार्टिन डिंपसे से मुलाकात के बाद यह घोषणा की। महिलाओं को मोर्चे पर भेजने पर रोक 1994 में लगी थी। लड़ाई के मोर्चे के नजदीक महिलाओं के लिए 14,500 पद पिछले साल बनाए गए थे। 14 लाख सैनिकों वाली अमेरिकी सेना में महिलाओं की संख्या 14 प्रतिशत है।

अमेरिका का मानना है कि इस फैसले से समाज और फौज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। बताते चलें कि इराक और अफगान युद्ध में अमेरिकी महिला सैनिकों ने चिकित्सा कर्मी, सैन्य पुलिस और खुफिया अधिकारी के रूप में काम किए। कई बार उन्हें मोर्चे पर भी भेजा गया लेकिन आधिकारिक जिम्मेदारी नहीं दी गई। इन लड़ाइयों में 2012 में 130 महिलाएं मारी गईं थीं।

क्या पड़ेगा असर- अमेरिकी महिलाएं मोर्चे पर तैनात हो सकेंगी। विशेष कमांडो दस्तों में नियुक्ति के दरवाजे खुल जाएंगे। मोर्चे पर दो लाख 30 हजार महिलाओं की नियुक्ति होगी। इन्हें रहेगा इंतजार- नेवी सील्स और डेल्टा फोर्स जैसी विशेष टुकड़ियों में तैनात होने के लिए महिलाओं को इंतजार करना होगा। क्यों लिया फैसला- नवंबर में चार महिलाओं ने मोर्चे पर तैनाती के प्रतिबंध को असंवैधानिक बताते हुए रक्षा मंत्रालय के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया था।

अब सीरिया की सेना में भी महिलाएं : दमिश्क: गृहयुद्ध में फंसे सीरिया में अब ‘लेडी आर्मी’ तैयार हो रही है। करीब 500 महिलाओं को हाल ही भर्ती किया गया है। इसे विद्रोहियों के खिलाफ सरकार की चाल के रूप में देखा जा रहा है। विद्रोही अगर महिलाओं पर हथियार उठाएंगे तो जनता में उनके खिलाफ गलत संदेश जाएगा। बताते चलें कि मार्च 2011 से चल रहा है सीरिया में संघर्ष और इसके चलते अब तक यहां 60000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

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