साढ़े तीन सौ हुए या चार सौ कौमार्य परीक्षण !

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

मध्य प्रदेश में तूल पकड़ता जा रहा है वर्जिनिटी टेस्ट

बैतूल : मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के हरदू गांव में शुक्रवार को आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में 350 युवतियों का कौमार्य परीक्षण का मामला सामने आया है, जिनमें 90 आदिवासी युवतियां शामिल थीं। सामूहिक विवाह में दुल्हनों के अचानक हुए गर्भ परीक्षण पर विवाद खड़ा हो गया। हालात को देखते हुए बैतूल जिला कलेक्टर राजेश प्रसाद मिश्रा ने शादी के पूर्व युवतियों के कौमार्य एवं गर्भ परीक्षण की घटना की जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन अभी तक सरकारी तौर पर यह स्प ष्टे नहीं किया गया है कि इस पूरे जिले में कितनी युवतियों का कौमार्य-परीक्षण सरकारी तौर पर कराये गये थे। साथ भी यह कि बैतुल के अलावा और किन-किन जिलों में यह टेस्टं कराये गये हैं।

बहरहाल, डीएम मिश्रा ने बताया कि हरदू गांव में शुक्रवार को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह समारोह के दौरान आई शिकायतों की जांच के आदेश दिए गए हैं। बैतूल की सहायक कलेक्टर नेहा मार्वया इस मामले की जांच करेंगी। उन्हें सात दिन में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने के ले कहा गया है।

इस मामले में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आदिवासी समाज और महिलाओं से माफी मांगने की बात कही है। दूसरी तरफ, समाजवादी जन परिषद के अनुराग मोदी ने कहा कि जिला कलेक्टर इस मामले में केवल जांच के आदेश मात्र देकर अपना पल्ला नहीं झाड सकते। उन्होंने कहा कि बिना कलेक्टर की मंजूरी के महिलाओं को कौमार्य परीक्षण किया जाना संभव नहीं है।

आपको बताते चलें कि कांग्रेसी नेताओं ने आरोप लगाया था कि पिछले दिनों शादी के लिए सीएम शिवराज सिंह ने कराया था 400 लड़कियों का वर्जिनिटी टेस्ट। कुछ भी हो, एक ओर जहां पूरे देश में महिलाओं की स्थिति को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी योजना के तहत महिलाओं का अपमान किया है। मध्य प्रदेश के बैतूल में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह के दौरान लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट कराने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। राजधानी भोपाल से करीब 225 किमी दूर बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के हरदू गांव में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था। इसमें करीब 400 जोड़े शामिल हुए थे।

इस योजना के तहत गरीब आदिवासी लड़कियों की शादी सरकारी खर्च पर करई जाती है। सामूहिक विवाह में शामिल लड़कियों का यहां के अधिकारियों ने गर्भवती टेस्ट कराया। अधिकारियों ने लड़कियों का वर्जिनिटी टेस्ट कराया। इनमें से कम से कम आठ लड़कियों का टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद इनकी शादी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया और दहेज में दिया गया सारा सामान वापस ले लिया गया। वहीं इलाके के डीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए है। गौरतलब है कि चार साल पहले भी इसी तरह की घटना घटी थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने नियमों को और कड़ा कर दिया था और पंचायत व ब्लॉक अधिकारियों को सामूहिक विवाह के लिए आवेदनकर्ताओं की कड़ाई से जांच करने का आदेश दिया गया था। वहीं इस मामले का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने आदिवासी समुदाय से माफी मांगी है।

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