फुस्स हो गया बेटी बचाओ अभियान
दिवाकर अवस्थी
आने वाले समय में कानपुर के लड़कों के लिये बहन और दूल्हन की भयंकर समस्या आने वाली है। यह जानकारी हाल में स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से आये जन्म पंजीयन डाटा से पता चला है कि कानपुर में पुरूषों के मुकाबले कन्याओं का अनुपात सबसे कम है। इससे थोड़ा पीछे मेरठ है। कन्या भ्रूण हत्या जैसी समाज में फैली कुरीति के कारण ही दिनोंदिन कन्याओं का औसत कम होता जा रहा है। यदि हम कानपुर जैसे शहर की बात करें तो सन 2001 की जनगणना में भाहर का लिंगानुपात एक हजार में 869 लड़कियों का था। यही लिंगानुपात 2008 में निदेशालय की ओर से जारी डाटा के अनुसार एक हजार लड़को में 557.13 लडकियों का अनुपात हर किसी को डरा रहा है। सब यही सोच रहे है कि कैसे मिलेगी मिलेगी ? बहन और दूल्हन । इस डाटा ने यह साफ कर दिया है कि शहर में लडकों के जन्म में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है,जबकि लड़कियों की संख्या बहुत बड़े स्तर पर घटती जा रही है। लड़कियों की संख्या बड़े स्तर पर कम करने बहुत बड़ी भूमिका भाहर में चल रहे अल्ट्रासाउंड सेंटर है। इन सेंटरों पर भ्रूण में पल रहे बच्चे का लिंग पता कराते है कलयुगी लोग, यदि लडकी होती है तो ये लोग उसको गर्भ में मरवा देते हैं। इन कलयुगी लोगों से यह पूछा जाए तुमको तुम्हारी मॉ,बहन और पत्नी प्यारी है तो पह बच्ची क्यों नही प्यारी । भायद इसका जवाब किसी के पास नही होगा।साभार: आज की खबर