मोदी नहीं, बच्चा खोजने आ रही हैं सुनीता विलियम्स !

बिटिया खबर

3 दिन तक गुजरात दौरे पर, दौला माता के मंदिर भी जाएंगी

झूलासण गांव में बंद पड़ी है सुनीता के दादा का स्मृमति-पुस्तकालय

अहमदाबाद : सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाली गुजराती मूल की ब्रह्मांड-कन्या यानी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 4 अप्रैल को पैतृक गांव झुलासण पहुंचेंगी। तीन दिन के गुजरात दौरे में सुनीता कई स्कूल-कॉलेज, संस्थाओं और पेशेवर लोगों से मिलेंगी। लेकिन इस यात्रा में न तो वे किसी बच्चे को गोद लेने की योजना बना चुकी हैं और न ही मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का कोई कार्यक्रम। ह्यूस्टन से भारत की ओर रवाना हो चुकीं विलियम्स सोमवार को नई दिल्ली पहुंच रहीं  हैं जहां 2 अप्रैल को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से वे मुलाकात करेंगी।

मिली सूचनाओं के मुताबिक सुनीता 3 अप्रैल को मुंबई के नेहरू साइंस सेंटर जाएंगी। इसके बाद 4-6 अप्रैल तक वह गुजरात दौरे पर रहेंगी। इस दौरान 4 अप्रैल को मेहसाणा जिले के गांव झुलासण भी जाएंगी, जबकि 5 व 6 अप्रैल को गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय, राजस्थान हिंदी हाईस्कूल व अन्य पेशेवर लोगों से रू-ब-रू होंगी। इस बीच सुनीता का मोदी से मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं है। पिछले दौरे में सुनीता व उनके पिता दीपक पंड्या ने गुजरात विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मोदी के साथ शिरकत की थी। शिक्षाविद् व सुनीता के करीबी रिश्तेदार दिनेश रावल ने बताया कि विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान गांव के लोगों ने उनकी सुरक्षित वापसी के लिए दौला माता की मनौती मांगी थी। इसलिए वह माताजी के मंदिर भी जाएंगी।

रावल ने बताया कि झुलासण में उनके दादा नर्मदा शंकर पंड्या के नाम पर एक पुस्तकालय है। वर्ष 2007 के अपने पिछले दौरे में सुनीता ने दो लाख रुपये गांव के स्कूल को दान किए थे। रावल को मलाल है कि जिस गांव की बेटी ने दुनिया भर में नाम रोशन किया, उसी गांव में बच्चे व युवा शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। सुनीता के दादा के नाम पर बना पुस्तकालय बंद होने की कगार पर है, जबकि पांच हजार की आबादी वाले गांव के स्कूल में महज 150 बच्चे ही पढ़ते हैं। गांव के 1500 लोग विदेश जा चुके हैं, जबकि ज्यादातर युवा व बच्चे गुजरात के शहरों की ओर रुख कर रहे हैं।

पिछले साल 16 जुलाई-12 को सुनीता विलियम्स दूसरी बार जब अंतरिक्ष यात्रा पर निकल चुकी थीं, उसके पहले ही इस निसंतान ब्रह्मांण महिला पर चर्चा शुरू हो चुकी थी कि अपने इस मिशन से लौटने के बाद में भारत पहुंच जाएंगी और वहां किसी गुजराती बच्चेक को गोद ले लेंगी। 46 वर्षीय सुनीता ने उस दिन भारतीय समयानुसार रविवार सुबह आठ बजकर दस मिनट पर सुनीता समेत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर कजाखिस्तान के बैकानूर अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। ओहायो में जन्मीं सुनीता 2006-07 में अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान 195 दिन तक आइएसएस में रही थीं। अब वह छह वर्षो के अंतराल में अंतरिक्ष में दोबारा ब्रह्मांड बनने की गौरव हासिल कर चुकी हैं, तो उनके बच्चे  के गोद को लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी हैं।

सुनीता के पिता 80 वर्षीय दीपक पंड्या गुजराती मूल के हैं और वे अमेरिका के बोस्टन में पेशे से चिकित्सक हैं। दीपक ने अपनी बेटी की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा पर खुशी जताते हुए कहा कि इस बार सुनीता का मिशन खास है। वह अंतरिक्ष में कुछ अहम रिसर्च करेंगी। उन्होंने कहा कि सुनीता इस मिशन के लिए काफी रिलेक्स्ड थीं क्योंकि इससे पहले वह अंतरिक्ष में काफी समय बिता चुकी हैं। सुनीता की शादी 20 साल पहले अमेरिकी पुलिस अफसर माइकल विलियम्स से हुई थी। उनकी कोई संतान नहीं है। दीपक ने बताया कि सुनीता एक बच्चा गोद लेना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि सुनीता और उनके पति इसके लिए योजना बना चुके हैं और जैसे ही सुनीता इस मिशन से लौटेंगी, वे बच्चा गोद लेंगे। दीपक ने कहा कि सुनीता भारतीय बच्चे को गोद लेने का मन बना चुकी हैं। वह चाहती हैं कि यह बच्चा गुजरात का हो। ऐसा इसलिए क्योंकि वह अमेरिका में बस तो चुकी हैं, लेकिन उनका दिल भारत के लिए ही धड़कता है। वह भारतीय संस्कृति को बहुत पसंद करती हैं। दीपक ने बताया कि सुनीता का भारतीय धर्म और संस्कृति से गहरा जुड़ाव है। वह आज भी हिंदू पद्धति से पूजा पाठ करती हैं। समय निकालकर गीता-रामायण-महाभारत पढ़ती हैं। वह जीजस को भी पूजती हैं और कृष्ण को भी। गोद लिए जाने वाले बच्चे को वह भारतीय संस्कार ही देना चाहती हैं, इसीलिए वे गुजराती बच्चे को गोद लेने की ठान चुकी हैं। अंतरिक्ष यात्रा के लिए शरीर को मानक मापदंडों पर तैयार रखना होता है और यही वजह है कि सुनीता संतान को जन्म नहीं दे सकी हैं। सुनीता के पिता गुजरात के रहने वाले हैं। सुनीता पहले पशु चिकित्सक बनना चाहती थीं, लेकिन बाद में उनकी दिलचस्पी अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ी। 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मास्टर डिग्री करने के बाद 1998 में वह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ से जुड़ गईं।

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