महिलाओं की खूबसूरती पर परमाणु-बम जैसा मारक है तेजाब
कानपुर: आपने कभी तेजाब को महसूस किया है। आइये, हम आपको एहसास कराते हैं तेजाब की तेजाबी तेजी का। आपके हाथ, त्वचा, चेहरा या आंखों पर। हल्का से हल्का तेजाब भी अपने धुएं से आपको विचलित कर सकता है, फिर जरा उन लोगों को महसूस कीजिए जो तीव्रतम यानी हाईडेंस्टिटी को भोग चुके हैं और अब अपनी जिन्दगी भर उस दैवीय शरीर पर तेजाबी-शूल जिन्हें तबाह कर चुके हैं।
आप खुशमंद हो सकते हैं कि ऐसे तेजाब से कभी आपका कोई साबका नहीं हो सका। लेकिन हमारे ही समाज, समुदाय, पड़ोस या घर की उन युवतियों का क्या जाए जो केवल उस अपराध के लिए अभिशप्त हो गये जो ईश्वर ने उन्हें खूबसूरती के तौर पर नवाजा था। किसी ने प्रणय के लिए प्रस्ताव को मना किया तो चेहरे पर तेजाब फेंक कर दिया गया। किसी को जबरिया घर से निकालना है तो तेजाब हथियार बन गया। किसी को शक हुआ कि उसकी प्रेमिका या पत्नी का चालचलन ठीक नहीं है, तो ब्रह्मास्त्र बन गया तेजाब। वगैरह-वगैरह। ऐसे बदरंग हो चुके ऐसे चेहरों और उनकी जिन्दगी भर की कंपकंपाहट को महसूस करने के लिए आपको रांची, बैंगलुरू, दिल्ली, मुम्बई, गुहावाटी वगैरह जाने की जरूरत नहीं है। हमारे आसपास ऐसे लोगों की कमी कहां है। लेकिन जहां ऐसे अभिशाप मौजूद हैं, वहीं उनको अपने पैरों पर खड़ा करने वाली शख्सियतें भी हैं जो तेजाब यानी एसिड हमले का प्रतिरोध करते हैं। बाकायदा एक अभियान के तौर पर।
ऐसा ही एक अभियान है स्टॉप एसिड अटैक यानी stopacidattacks.org। यह एक अभियान है जो एसिड हिंसा से पीड़ित महिलाओं को लड़ने का हौसला देने का, आत्मनिर्भर बनाने का और उन्हें समाज में सम्मानजनक जिंदगी देने का कार्य करता है। वे चाहते हैं कि महिलाएं जिन्हे समाज के कुछ वीभत्सतम अपराधों में शुमार तेजाब हमले से जूझना पड़ा है, खुद को अकेला और कमजोर महसूस न करें। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां समझते हुए इन महिलाओं को उनकी नई जिन्दगी की राहें आसान करने में अपना योगदान जरूर देना चाहिये। यह वाकई दुखद है कि २१वीं सदी में भी समाज में महिलाओं पर तेजाब से हमले जैसे जघन्य अपराध हो रहे हैं और समाज इन अपराधों पर कोई अंकुश नहीं लगा पा रहा है।
स्टॉप एसिड अटैक। एसिड अटैक की वजह से पीड़ितों को समाज में उस तरह का स्थान नहीं मिल पाता, जो उन्हें मिलना चाहिए। हम एसिड अटैक पीड़ितों और समाज के बीच में एक पुल बनाने का काम करते हैं। भारत में तेज़ाब पीड़ित महिलाओं कि स्थिति बहुत खराब है। सरकार और सिविल सोसाइटी की तरफ से कोई ठोस कदम न उठाये जाने की वजह से एसिड अटैक पीड़ितों को घुट-घुट कर जीना पड़ता है। इनको सहारा देने वालों ने इस बारे में तो बाकायदा एक पोर्टल तक ही शुरू कर दिया। नाम है:- स्टाप् एसिड अटैक, जो पीड़ितों के विषय में अधिक से अधिक खोज व जानकारी एकत्र करके उनकी वास्तविक समस्याओं को समझे। यह एसिड अटैक पीड़ितों के लिए समर्पित है। एसिड अटैक पीड़ितों कि मदद के लिए विभिन्न तरह के अभियान चलाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक और उनके लिए मदद जुटाने और एक्टिविस्टों, पत्रकारों, राजनीतिज्ञों, सेलिब्रेटी और अन्य सिविल सोसाइटी के सदस्यों के माध्यम से एसिड अटैक पीड़ितों कि आवाज़ को बड़े स्तर तक पहुंचाता है।
यह प्रयास विभिन्न संगठनों, और लोगों से जो एसिड अटैक के मुद्दे पर एसिड अटैक की घटनाओं को रोकने, एसिड अटैक से पीड़ित लोगों की सुरक्षा, अधिकार के लिए काम करते हैं। और उन्हें स्वाथ्य, कानूनी व अन्य जरूरतों के लिए आर्थिक सहायता भी मुहैया भी। मकसद है कि देश को हिंसा से मुक्त बनाना है, खासकर महिलाओं को एसिड अटैक की हिंसा से बचाना। सभी एसिड अटैक पीड़ितों की मदद करके उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है।
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