मिसाल : अंजुम बनी दूसरी मुस्लिम महिला आईपीएस

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

अब राजस्थान को संवारेगी सहारनपुर की अंजुम आरा

अमित सारस्वत

: बेटियों के लिए मिसाल बनी अंजुम आरा : मुंबई की सारा रिकावी को हासिल है प्रथम आईपीएस होने का गौरव :

राजस्थान : देश में बेटा-बेटी में फर्क करने वाले समाज को युवा पीढ़ी जवाब देने में पीछे नहीं है। भारत में हिन्दू हो या मुस्लिम। हर बेटी को बेटे के साथ पढ़ते हुए आगे बढऩे पर जोर दिया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि आजमगढ़ के छोटे से गांव कम्हरिया से आने वाले अयूब की बेटी अंजुम आरा देश की दूसरी मुस्लिम महिला आईपीएस बनी है। आरा ने आईपीएस बनकर यह साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों को जरूर सफलता मिलती है। फिर चाहे वह लडक़ा हो या लडक़ी। इससे पहले मुंबई की सारा रिकावी ने पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया था।

अंजुम के पिता अयूब शेख ने पैतृक  गांव कम्हरिया में अपनी शिक्षा पूरी की। घर का खर्च चलाने के लिए नौकरी के लिए आवेदन किया। कछ समय बाद ही उनकी ग्रामीण क्षेत्र में अभियंत्रण सेवा के लिए नियुक्ति हो गई और पहली पोस्टिंग सहारनपुर में हुई। अयूब परिवार के साथ सहारनपुर में आकर रहने लगा। यहां अंजुम आरा का जन्म हुआ। आरा को बचपन से ही पढ़ाने का शौक था। वह घर का काम करने के साथ पढ़ाई भी करती थी। उसने अपनी प्राथमिक शिक्षा गंगोह से पूरी की। इसके बाद स्नातक व बीटेक के लिए लखनऊ गई। यहां आरा ने अपनी पढ़ाई पूरी की।

सहपाठियों में अव्वल रहने वाली आरा परिवार का सहयोग मिलने से प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जुट गई। दिन-रात कड़ी मेहनत करते हुए आईपीएस 2011 बैच की परीक्षा उत्तीर्ण की और देश की दूसरी मुस्लिम महिला आईपीएस होने का गौरव हासिल किया। आज देश की लड़कियों को आरा और सारा जैसी महिला आईपीएस से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़ाई करते हुए यह मंजिल हासिल की।

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