संयुक्त राष्ट्र। मिस्र के संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड के कड़े विरोध को दरकिनार करते हुए रूढि़वादी मुस्लिम और रोमन कैथोलिक देशों, उदारवादी पश्चिमी देशों ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने की संयुक्त राष्ट्र की एक योजना को मंजूरी दे दी है। ब्रदरहुड का कहना था कि यह योजना इस्लामी सिद्धांतों के विरुद्ध है।
दो हफ्ते की कठिन और विवादों के बीच चली वार्ता के बाद शुक्रवार की रात 131 देशों ने योजना में शामिल होने के लिए आम सहमति दे दी। संयुक्त राष्ट्र महिला समिति की प्रमुख मिशेल बैसलेट ने 17 पन्नों की इस योजना को ऐतिहासिक बताया है। उनके मुताबिक यह योजना हिंसा रोकने और उसे समाप्त करने के वैश्रि्वक मापदंड तय करेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाले अत्याचार मानवाधिकार उल्लंघन के सबसे गंभीर मामले हैं। दुनियाभर में लोग इसके खिलाफ कारवाई चाहते हैं और हम उन्हें निराश नहीं करेंगे।
बुधवार को मिस्र में सबसे सशक्त राजनीतिक गुट के रूप में सामने आए ब्रदरहुड संगठन ने योजना के तहत महिलाओं को स्वतंत्रता दिए जाने का जमकर विरोध किया था। उसने एक संशोधन प्रस्ताव रखते हुए कहा था कि हर देश की अपनी संप्रभुता है और वह इन प्रावधानों को अपने देश के नियमों के अनुसार अपना सकता है। अंतिम ड्राफ्ट पर जब देशों ने वोट डाले तब समर्थकों को डर था कि मिस्र इसका विरोध करेगा जिससे आम सहमति नहीं बन पाएगी पर राजनयिक मेरवात तल्लावी ने मिस्र की ओर से सहमति देकर सभागार में बैठे सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया।
बैशलेट दे सकती हैं इस्तीफा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून द्वारा जारी बयान के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महिला समिति की प्रमुख मिशेल बैसलेट ने अपना पद छोड़ने का निर्णय लिया है। मून के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि वह अपना पद छोड़ना चाहती हैं। शिन्हुआ के मुताबिक चिली की पूर्व राष्ट्रपति बैशलेट संयुक्त राष्ट्र की पहली महासचिव व महासभा द्वारा दो जुलाई 2010 में गठित संयुक्त राष्ट्र महिला समिति की पहली कार्यकारी निदेशक हैं। सेंटिआगो में 29 सितंबर 1951 को जन्मीं बैशलेट बालविशेषज्ञ और नागरिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं। बान की मून ने बैशलेट की सेवाओं के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।