बेधड़क महिला अफसरों वाला मौसम अब पूर्वांचल में आ पाना मुश्किल
: जफराबाद थाने के एसओ को डपट कर सेकेंड अफसर बनाया : बड़बोले पारसनाथ को औकात दिखा दिया सरोज तूफानी ने : चेहरे पर बैठी मक्खी तक नहीं उड़ा पाये कोई भी आला अफसर : जौनपुर के तांत्रिक रमेश तिवारी हत्याकांड में वांछित था शेरू : प्रतिष्ठित डॉक्टर की महिलाओं को दो दिनों तक थाने पर बंद रखा था पुलिसवालों ने : हर फरियाद पर केवल अपने होठों पर उंगली भर रखती रहीं एसपी मंजिल सैनी :
जौनपुर: हाई प्रोफाइल हत्या के अपराधी को मुठभेड़ में मार गिराने वालों को पुरस्कार प्रदेश सरकार में अब उनके सीने की वर्दी पर मेडल-तमगे टांकने नहीं, बल्कि अपमान के खून घूंट पीने के तौर पर मिलेगा। जौनपुर में यही हुआ है। 10 दिन पहले यानी गणतंत्र दिवस 26 जनवरी की परेड के दौरान जिले के आला अफसरों की मौजूदगी में जिस अफसर को मुक्तकण्ठ से प्रशंसा मिली और जिसकी आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की फाइल तैयार कर लखनऊ भेजने का ऐलान किया गया, उसी अफसर को अगले 3 दिन बाद ही उसी थाने पर मातहत डिमोशन कर दिया गया। कहने की जरूरत नहीं कि इस हादसे के बाद से पुलिस बल में हौसलों में टूटने-दरकने की हालत महसूस की जा रही है।
प्रदेश की राजनीति में दखल तक रखने वाले हाई-प्रोफाइल तांत्रिक रमेश तिवारी की हत्या की वारदात ने पूर्वांचल को हलकान कर दिया था। पुलिस अफसरों ने अपराधियों की धरपकड़ और दबाव बनाने के लिए जिले के कई प्रतिष्ठित परिवारों को कई दिनों तक विभिन्न थानों में बंद रखा गया था। कई महिलाओं को भी थानों में प्रताडि़त किया गया। बाद में एक अन्य कुख्यात शूटर शेर बहादुर सिंह उर्फ शेरू पर पुलिस ने 50 हजार रूपयों का ईनाम ऐलान कर दिया। मगर कोई फायदा नहीं हुआ। लेकिन अचानक जौनपुर के आदर्श पुलिस थाना जफराबाद के तेज-तर्रार थानाध्यक्ष रवींद्र श्रीवास्तव ने आखिरकार शेरू शूटर को 13 जनवरी की सुबह एक मुठभेड़ में मार गिराया था। मुठभेड़ के दौरान रवींद्र को काफी चोटें भी आयी थीं।
पुलिस और जिला प्रशासन के बड़े आला अफसरों ने इस मुठभेड़ की खबर को राजधानी तक बैठे आकाओं तक पहुंचाकर अपनी पीठ खूब ठोंकी थी। हालांकि बाद में 26 जनवरी की परेड में जिले के दबंग मंत्री पारसनाथ यादव की मौजूदगी में रवींद्र श्रीवास्तव की प्रशंसा की और उनकी वर्दी पर विजय के तमगे टांके। कहा गया कि रवींद्र जैसे पुलिस अधिकारियों ने जिला प्रशासन ही नहीं, बल्कि प्रदेश सरकार का भी मान बढ़ाया है। अन्यथा जघन्य और दुर्दांत अपराधियों से निपट पाना मुश्किल होता। इतना ही नहीं, इस मौके पर कहा गया कि रवींद्र श्रीवास्तव को ईनाम के लिए पुलिस महानिदेशक और प्रदेश सरकार से सिफारिश की जाएगी। इस मौके पर जिला जज जगदीश्वर सिंह, जिलाधिकारी सुभाष एलवाई और पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी समेत जिले के सारे अधिकारी भी मौजूद थे।
लेकिन इस समारोह के तीन दिन बाद ही अचानक 30 जनवरी को एसपी ने आदेश जारी करके इसी तेज-तर्रार अफसर को उसी थाने जफराबाद में सेकेंड अफसर के तौर पर डिमोशन करते हुए तैनात कर दिया। रवींद्र इसी थाने में थाना अध्यक्ष थे। खबरों के मुताबिक यह जाबांज अफसर के साथ यह सलूक जिले की राजनीति के चलते हुई। पारसनाथ यादव से पटरी केराकत से सपा सांसद तूफानी सरोज से नहीं बैठती है। सरोज का अरोप है कि रवींद्र उनके के बजाय पारस नाथ के करीबी है। इस पर शिकायत मुख्यमंत्री से हुई तो डीजीपी को अर्जी भेज गयी। वहां से मामला आईजी तक पहुंचा। लेकिन बताते हैं कि रवींद्र जब सरोज से मिलने गये तो उनके साथ अच्छा सुलूक नहीं हुआ।
और नतीजा यह कि जिस थाने में रवींद्र एसओ थे, अब वे सेकेंड अफसर बन गये हैं। यह अपमान की पराकाष्ठा है। कहने की जरूरत है कि इस डिमोशन के आदेश पत्र पर जिले की पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी के दस्तखत हैं। हालांकि अब तर्क यह दिया जा रहा है कि यह आदेश आईजी साहब के आदेश पर हुआ है।
आपको बताते चलें कि इस जिले में अब तक दो बेहद चर्चित महिलाएं तैनात रह चुकी हैं, जिन्होंने प्रशासन को सर्वाधिक प्राथमिकता दी, गंदी दलीय राजनीति से दूर। इनमें एक तो थीं नीरा यादव जो सन 84 में जिलाधिकारी तैनात रही थीं और बाद में वे प्रदेश की मुख्य सचिव तक भी बनीं। जबकि दूसरी तेज-तर्रार महिला अधिकारी थीं अनीता सिंह जो भी यहां जिलाधिकारी तैनात रहीं और इनके कार्यकाल और तौर-तरीकों पर अब तक चर्चा होती रही है।