नेट के राउटर से शक बढ़ा, यूं बढ़ा जांच का दायरा
नई दिल्ली : देश –विदेश को तहलका मचाने वाली आरूषि हत्याकांड में इंटरनेट सिस्टम की गवाही सर्वाधिक महत्वहपूर्ण रही थी। दूरसंचार विभाग के मुताबिक तलवार का इंटरनेट राउटर रात 12.08 से 3.45 के बीच ऑन ऑफ हुआ। आइये देखिये कि किस तरह कैसे कैसे मोड़ आये इस हत्याकांड में:-
10 अहम मोड़
16 मई 2008: नोएडा के जलवायु विहार में आरुषि की हत्या उसके बेडरूम में की गई।
17 मई 2008: नौकर हेमराज का शव तलवार दंपति के घर की छत से बरामद किया गया
22 मई 2008: पुलिस ने ऑनर किलिंग का शक जताया और करीबियों से पूछताछ की।
23 मई 2008: आरुषि के पिता राजेश तलवार को दोहरे हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया।
31 मई 2008: आरुषि-हेमराज हत्याकांड की जांच पुलिस से सीबीआई को सौंप दी गई।
29 दिसंबर 2010: सीबीआई ने विशेष कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दी जिसे चाजर्शीट में बदला गया।
9 फरवरी 2011: हत्याकांड में तलवार दंपति प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए, कोर्ट ने तलब किया।
2 मार्च 2012: सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति पर गाजियाबाद में केस चलाने का आदेश दिया।
30 अप्रैल 2012: नूपुर तलवार ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया फिर उन्हें जेल भेजा गया।
12 नवंबर 2013: सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसले के लिए 25 नवंबर की तिथि तय की।