: चुनाव हारने के दस दिन पहले ही टूट चुकी थी मदारी की टांग : अपनी बेईमानी छिपाने के लिए नवनिर्वाचित विधायक को बता दिया बेईमान : चलो अब खत्म हो जाएगी चिल्लूनपार में लाशों की राजनीति :
कुमार सौवीर
चिल्लूपार : मुक्ति-पथ में लाशों को लेकर अपनी सौदागिरी का धंधा करने वाले मदारी-बाबा के मुखौटे को नोंच कर उसका असली चेहरा चिल्लूपार की जनता ने सामने रखा और फैसला कर दिया कि ऐसे मदारियों का अब चिल्लूपार में कोई भी स्था्न नहीं है। लेकिन इसके बावजूद यह मदारी अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा है। ताजा खबर के मुताबिक इस मदारी राजेश त्रिपाठी ने चिल्लूपार की पूरी जनता को विश्वासघाती करार कर दिया है। चिल्लूपार में राजेश त्रिपाठी का लोकप्रिय नाम मदारी बाबा के तौर पर मशहूर है।
अपनी जबर्दस्त शर्मनाक हार के बाद राजेश त्रिपाठी मदारी ने अपनी फेसबुक वाल पर चिल्लूपपार की जनता को एक ओर महान बताया है, वहीं उसी जनता को विश्वासघाती भी करार दे दिया है। इतना ही नहीं, मदारी ने उसी बसपा-सुप्रीमो मायावती को दस करोड़ी बहन के तौर पर खिल्ली उड़ायी है, जिनके दलित वोट बैंक ने इस मदारी को लगातार दो बार विधायक बनाया था, लेकिन इस बार राजेश त्रिपाठी ने भाजपा लहर भांप कर केसरिया पगड़ी चढ़ा ली थी।
कहने की जरूरत नहीं कि गोरखपुर चिल्लूपार की जनता को विश्वासघाती करार देने वाले इस मदारी ने कई बार राजनीतिक पलटी मारी है। स्थानीय लोगों की चर्चा के मुताबिक राज्यसभा सदस्ये चुनाव के दौरान राजेश त्रिपाठी ने बसपा के प्रत्याशी के बजाय भाजपा के उम्मीदवार प्रीति महापात्र को मत दे दिया था। स्थानीय जन-चर्चाओं के अनुसार अपने ही पाला-बदल की एवज में इस मदारी ने दस करोड़ रूपयों की नकदी वसूली थी। एमएलसी चुनाव में भी राजेश त्रिपाठी ने खासी शोहरत कमाई थी, जब बसपा के बजाय उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को वोट दे दिया था। इसमें भी भारी डील की चर्चाएं उस वक्त खूब चलीं थीं।
हैरत की बात है कि इस मदारी के चेहरे पर एक नहीं, बेहिसाब रंग चस्पां–चिपके हैं, जो वक्त-जरूरत उभर जाते हैं। जन-चर्चाओं के अनुसार राजेश त्रिपाठी का असली फाइनेंसर पीस पार्टी के डॉक्टर अयूब माने जाते हैं, समर्थन के तौर पर समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आजम खान की बेहद करीबी राजेश त्रिपाठी से बतायी जाती है। डॉक्टर अयूब वही हैं, जिन पर नर्सिंग पढ़ रही एक बच्ची के साथ बलात्कार और मार डालने का आरोप लगा हुआ है। बसपा में रह कर भी कभी भाजपा के प्रत्याशी को वोट देना तो कभी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को एमएलसी बनाने की जुगत भिड़ाना राजेश का मूल चरित्र माना जाता है। तुर्रा यह कि खुद को बाबा के मुखौटे के तौर पर समाज में पेश करने वाले राजेश फिलहाल मुक्तिपथ में प्रति लाश दो सौ रूपयों की जबरन उगाही करते हैं।
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दिलचस्प बात तो यह है कि जिस मुक्तिपथ को लेकर राजेश त्रिपाठी ने अपना मदारी बाबा वाला चोला पहना है, उसकी हकीकत देखने के लिए आप इस शिव-प्रतिमा को निहारिये जो मुक्तिपथ वाले श्मशान स्थल पर बने शिव-स्थान में है। इसी मुक्तिपथ को स्थानीय जनता को धार्मिक भावनाओं को भड़काने के नाम पर अपनी राजनीतिक गोटियां सेंकते हैं राजेश त्रिपाठी, हकीकत यह है कि यह स्थल अराजकता का केंद्र बन चुका है। इस स्थल पर शिव की प्रतिमा पर अराजक तत्वों का जमावड़ा जुटता है और प्रतिमा पर युवक-युवतियों के प्रेम-प्रणय के सम्बन्ध लिखे जाते हैं।
अब आइये, देखिये कि इस चुनाव में बुरी तरह मुंह के बल औंधे गिरे राजेश त्रिपाठी उर्फ मदारी बाबा ने अपनी फेसबुक वाल पर चिल्लूपार की जनता के खिलाफ क्या–क्या जहर उगला है:-
हे चिल्लूपार की महान जनता !
आपकी जय हो !
थोड़ा विलम्ब से ही सही मगर,
दिल की गहराई से हम आप सभी के प्रति कृतज्ञता अर्पित कर रहे हैं !
क्योंकि 2017 के हमारे चुनाव की बागडोर तो आपने खुद सम्भाल रखी थी…!
यही कारण रहा कि
“दस करोड़ी बहन जी” के तथाकथित 45000 वोट,
“ताकतवर बाबूजी” के भी 45000 वोट, और
“सर्वग्राह्य गांधी छाप” नोटों के असंख्य वोट,
तथा
“धमकाने वाले विशेषज्ञ भईया जी” के हजारों वोट,
एवं
“हार से डरे हुए लोगों” द्वारा बाहर से बुला- बुला कर टाड़ा न्याय पंचायत के अलावा अन्य दबंगई कर पाने वाले बूथों पर भी
“फर्जी मतदान करा लेने वाले वोटों”
की ताकत रखने वालों को
मतगणना के दौरान आपने 25 राउण्ड तक वो छठी का दूध याद दिलाया कि जीत की खुमारी में भी वह लगातार हर राउण्ड हारते 6 घन्टे को शायद ही कभी भूल पायें ?
करोड़ों रुपये में टिकट लेकर भी करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने वाले किसी तरह घिसट घिसट कर जीते भी तो 3200 से…!
वह भी तब जब चुनाव के 10 दिन पहले हमारे पैर में फ्रैक्चर हो गया…
जिसके कारण हम आप में से अनेक के गांव (लगभग 125) और घरों तक पहुँच ही नहीं पाये आपका आशीर्वाद लेने …!
वरना
“तथाकथित अपनों”
द्वारा भाजपा के साथ किये गये विश्वासघातों के बावजूद यह जो फर्जी वोटों वाली मार्जिन रही न…..!
यह तो जीत के जबड़े से ही खींच लाता….!
मगर विश्वासघातियों की लम्बी सूची के बावजूद, मेरे घायल होने के बावजूद, सूचना के अनुसार आखिरी तीन दिनों में 6 करोड़ बाटने के बावजूद, दस करोड़ी बहन जी के और ताकतवर बाबूजी के अथाह वोटों और मुर्गा – दारू की गांव गांव दावत कराने के बावजूद आपने हमें खुद ही बागडोर सम्भाल कर 75000 हजार तक पहुँचा कर चिल्लूपार में भाजपा के वोटों का एक नया इतिहास लिख डाला….!
शुक्रिया चिल्लूपार शुक्रिया…!
क्या हुआ जो आपकी निःस्वार्थ मेहनत के बावजूद चिल्लूपार में कमल खिलते खिलते रह गया…
मगर प्रदेश में भाजपा 325 तो हो गई…!
चिल्लूपार नहीं मिलने का पांच साल अफसोस तो रहेगा…. मगर शकून है कि हम सबको प्रदेश तो मिल गया….!
यही फर्क है औरों में और आपके राजेश में…!
हम जहाँ गये वह 325 हो गया,
वे जहां गये मात्र 19 रह गये….!
फिर भी यकीन रखिएगा हार के बावजूद हम कहीं बांसी – बलिया नहीं भागने वाले…. यहीं रहेगें आपके बीच… अपने 75 हजार लोगों के बीच….!
होली की बधाई ही नहीं बल्कि अपनी शानदार सरकार बनने की भी बधाई स्वीकार करें…!