546 पोर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगाने की कवायद
बलात्कार की बढ़ती घटनाओं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार पोर्न साइट्स पर पाबंदी लगाने की तैयारी में है। साइबर अपराध शाखा और खुफिया विभाग ने सरकार को इस मामले में एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें बताया गया है कि इंटरनेट पर 60 फीसदी लोग अश्लील वीडियो देखते हैं। इसके लिए लगभग 546 साइट्स को प्रतिबंधित करने के लिए चिह्नित किया जा चुका है। इन साइट्स पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार गूगल और याहू जैसी इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों की भी मदद लेगी।
इससे पहले भी देश में पोर्नोग्राफी साइटों की संख्या में हो रहे लगातार इजाफे पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि इंटरनेट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी बहुत हो रही है। इससे अपराधों में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है। गौरतलब है कि महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रही अश्लीलता और अभद्र व्यवहार का प्रमुख जरिया शर्मनाक तरीके से प्रस्तुत की जा रहीं पोर्न और अभद्रता से ही जरिये है।
गौरतलब है कि दिल्ली में पांच साल की बच्ची के साथ हुए रेप मामले के बाद आरोपी ने इस बात को स्वीकारा है कि उसने इस वारदात से पहले इंटरनेट पर कई सारी अश्लील वीडियो क्लिपिंग देखी थी और उसके बाद उसने यह कुकर्म किया। इस खुलासे के बाद अब समाज के हर वर्ग से इन वेबसाइट्स को बंद करने की मांग उठने लगी है। लोगों का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द ऐसे वेबसाइट्स के एक्सेस पर बैन लगाए।
कई संगठनों का मानना है कि इस तरह की साइट्स लोगों की मानसिकता पर हमला करती है। मोबाइल पर आसानी से मिलने वाले अश्लील वीडियो पर भी मॉनिटरिंग होनी चाहिए। जानकारों का कहना है कि तेजी से बढ़ती तकनालाजी के चलते अब इस पर प्रतिबंध लगाना बेहद अनिवार्य हो चुका है। कारण यह कि आम होता जा रहा है पोर्न मैटर। और यह अब फिल्मा और स्कू्लों में इंटरनेट के चलते आसानी से मिल जाता है।
मनोविश्लेषकों का कहना है कि पोर्न अब बेहद आम हो गया है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अधिकांश बच्चे 11 साल की उम्र तक इससे किसी न किसी सूरत में परिचित हो चुके होते हैं। वहीं इंटरनेट पर होने वाले सर्च में से 25 प्रतिशत सामग्री पोर्न से संबंधित होती हैं। आंकड़ों के मुताबिक हर सेकंड कम से कम 30,000 लोग इस तरह की पोर्न साइट देख रहे होते हैं।
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