विधानसभा में विस्‍फोटक: बड़ी वजह है भ्रष्‍टाचार

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: लगाये गये हैं दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ कैमरे, फिर भी फोटो धुंधली आयी : जाहिर है कि भयावह चूकों ने विधानसभा के हर कोने में बिल बना रखा था : बरसों से एक ही ठेकेदार को थमा दिया जाता है इन कैमरों की मैंटीनेंस का 50 लाख का ठेका :

कुमार सौवीर

लखनऊ : सीसीटीवी में कैद वीडियो फोटो ली हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है। किसी भी साधारण से सीसीटीवी कैमरे में कैद होने वाली ऐसी क्लिप का स्‍तर आमतौर पर उसी तरह का होता है। जिसमें किसी व्‍यक्ति, वाहन, सामान या किसी शस्‍त्र आदि को पहचान पाना मुमकिन नहीं होता है। ऐसे काम-चलाऊ और सस्‍ते कैमरे केवल इतना ही इशारा कर पाते हैं कि कोई साया-छाया सी आयी, और फिर चली गयी। ऐसे कैमरों में ऐसी फोटो तब ही कैच हो पाती है, जब वह क्‍लोज-अप में हो, कैमरे के सामने हो, या ठीक कैमरे के लैंस से बेहद करीब हो। अन्‍यथा

लेकिन जब मामला विधानसभा के सभा-मण्‍डप का हो तो माजरा बेहद संगीन हो जाता है। खास तौर पर तब, जबकि वहां लगाये गये सीसीटीवी कैमरे कोई आम, सस्‍ते या काम-चलाऊ नहीं, बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ कैमरे माने जाते हैं। जाहिर है कि यह बेहद महंगे तो होते ही हैं, अपनी क्‍वालिटी में भी बेमिसाल होते हैं। पूरी दुनिया के अहम क्षेत्रों में लोगों की गतिविधियों को जांचने और उन्‍हें कैद करने में महारत रखने वाले ऐसे कैमरों तो दुनिया ही कायल होती है। जानकार बताते हैं कि यह कैमरे दुनिया के सबसे श्रेष्‍ठ कैमरे हैं, जो बॉस्‍च कम्‍पनी तैयार करती है। पुलिस के एटीएस सूत्रों के अनुसार विधान भवन परिसर में कुल 23 कैमरे लगे हुए हैं, जिनमें  12 कैमरे परिसर में, 6 कैमरे भवन मंडल में, 2  कैमरे सत्ता पक्ष एवं विपक्ष  के आवागमन गेट पर तथा सदन के भीतर स्थापित दूरदर्शन के 03 कैमरे पूरी रिकॉर्डिंग करते हैं।

विश्‍वस्‍त सूत्रों का कहना है कि इन कैमरों पर निगरानी के लिए विधानसभा सचिवालय ने बाकायदा एक ठेकेदार तैनात कर रखा है जो अपनी कई लोगों की टीम के साथ यहां तैनात रहता है। यह टीम इन कैमरों की नियमित देखभाल यानी मैंटीनेंस का काम करता है। विश्‍वस्‍त सूत्र बताते हैं कि विधानसभा सचिवालय ने इस ठेकेदार को करीब पचास लाख रूपयों का वार्षिक ठेका दे रखा है। करीब दस साल पहले यह ठेका करीब 40 लाख रूपयों का बताया जाता है।

एक भरोसेमंद सूत्र ने बताया कि इस काम को हासिल करने के लिए ऊंचे पायदानों पर भारी कमीशन चलता है। बाकायदा लूट के स्‍तर तक।

लेकिन इन सूत्र के आरोपों को गलत भी मान लिया जाए, तो भी सवाल यह है कि क्‍या दुनिया के सबसे शार्प कैमरे क्‍या इतनी घटिया परफारमेंस करते हैं। क्‍या वाकई विधानसभा मण्‍डप और पूरे भवन में ऐसे श्रेष्‍ठ कैमरे लगाये गये, अथवा केवल उसे खानापूर्ति के तहत ही लगा दिया गया। अगर यह कैमरे घटिया लगे हैं, तो उसे अब तक पकड़ा क्‍यों नहीं जा सका। वजह क्‍या  है।

अब सवाल यह केवल नहीं है कि इस घोटाले में भारी-भरकम सरकारी रकम की लूट का धंधा लम्‍बे वक्‍त से चलता ही रहा है। लेकिन असल सवाल तो यह है कि अगर इसी लापरवाही या बेईमान के चलते विधानसभा मण्‍डप में कोई बहुत भयावह घटना हो जाती, तो उसका पर्दाफाश कैसे हो पाता।

उधर पता चला है कि विस्फोटक प्रकरण में आज यूपी एटीएस के अधिकारियों द्वारा विधान सभा भवन में नियुक्त अनेक अधिकारियों और कर्मचारीगण से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किये।

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