उतावली का तेल लगाये बैठा यह अफसर मुख्‍य सचिव बनने को बेताब

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बनाया गया शिक्षा विभाग का सचिव, मगर हल्‍ला मचा दिया कि मुख्‍य सचिव बनाया गया है : इस आईएएस अफसर की हरकत से आप नौकरशाही की हैसियत आंक सकते हैं : बरही-जन्‍मोत्‍सव में पकने वाली बरिया या मालपुआ का दर्शन कीजिए :

श्‍वेतपत्र संवाददाता

लखनऊ : बरही-जन्‍मोत्‍सव में पकने वाली बरिया या मालपुआ तो आपने कई बार देखा और पहचाना होगा। नहीं देखा है, तो कोई बात नहीं। आप ऐसा कीजिए कि यूपी सरकार के वरिष्‍ठ आईएएस अफसर रमेश चंद्र मिश्र के मोटे-फूले गालों को देख लीजिए, आपकी ख्‍वाहिशें कम्‍प्‍लीट हो जाएंगी। उनकी सेवा के अधिकारी और उनके मित्र वगैरह के अनुसार गजब फूले हुए मालपुआ और बरिया की तरह फूले-फूले रहते हैं रमेश चंद्र मिश्र।

लेकिन ताजा मामला तो उनकी एक पोस्‍ट पर है, जिसमें उन्‍होंने खुद को यूपी का मुख्‍य सचिव के तौर पर ऐलानिया पेश कर दिया है। इतना ही नहीं, इस आईएएस अफसर के अनुसार वह उच्‍च शिक्षा विभाग की जिम्‍मेदारी सम्‍भालने के लिए कमर-बेल्‍ट कसने निकल पड़े हैं। आपको बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले ही यूपी सरकार ने प्रदेश के 28 आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया था। तबादलों की कवायद में रमेश चंद्र मिश्र भी शामिल थे।

लेकिन तबादला आदेश जारी होते ही रमेश चंद्र मिश्र ने अपनी फेसबुक वाल को अपडेट किया और यह घोषणा कर डाली कि अब वे यूपी के मुख्‍य सचिव बन गये हैं, और अब उच्‍च शिक्षा विभाग सम्‍भालेंगे। यह पोस्‍ट लगते ही रमेश मिश्र की वाल पर उनके ठेलुहा-मित्रों का रेला उमड़ पड़ा। धकाधक बधाई, शुभकामनाओं का अम्‍बार लग गया। हैरत की बात है कि ऐसी बधाई देने वालों में सरकारी अफसर, नेता, कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी आगे बढ़-चढ़ कर चहकने लगे।

लेकिन एक किसान ने रमेश चंद्र मिश्र के इस दावे की छुच्‍छी ही निकाल कर जोश की हवा हल्‍की कर डाली। हरदोई के एक ग्रामीण लेकिन सजग किसान प्रदीप दीक्षित ने ऐतराज दर्ज कराते हुए साफ लिख मारा कि इस तरह की भ्रांतिजनक बातों को खत्‍म किया जाना चाहिए। हरदोई के ही एक पत्रकार आमिर किरमानी ने भी इस पर ऐतराज कर दिया। इसके बाद रमेश मिश्र ने अपनी पोस्‍ट को अब करेक्‍ट कर दिया।

लेकिन असल सवाल तो इस बात पर है कि रमेश चंद्र मिश्र ने अपनी पिछली नौकरी में कितनी बार ऐसी भयावह गलतियां और जघन्‍य अपराध किये हैं।

ओर यह भी कि आईएएस अफसरों का असल चरित्र क्‍या बन चुका है।


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