हुर्रे, हम जीत गये। कांपते सुब्रत राय का ऐलान:- आपकी सारी मांगें मंजूर

: लगा, जैसे किसी विशाल मैदान में हजारों-लाखों सिंह-व्याघ्र एकसाथ दहाड़ रहे हों : जीत के लिए बेहद परिश्रम और जीत का उल्लास इसी तरह मनाया जाता है : हर सांस में जिजीविषा, हर पल हौसलों की लहर, हर कदम में जीत, हर धड़कन में जीवन्तता : कुमार सौवीर लखनऊ : लेकिन यह तो छलावा […]

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सुब्रत राय: हमने सहारा प्रेस घेर लिया, बिजली-पानी काट दिया

: सौ जूतों से रूतबा गालिब नहीं होता, यह वो खजाना है जो कभी खत्म नहीं होता : तय हुआ कि अब बातचीत नहीं, हम केवल हां ही सुनेंगे : सुबोध नाथ गिड़गिड़ाये कि हमारे लोगों को रिहा कर दीजिए : कुमार सौवीर लखनऊ : सिर्फ इतना ही याद है कि मजदूरों और पीएसी वालों […]

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