मेरी शिष्‍य ने जब बताया कि मैं क्‍या हूं, तो मैं फफक कर रो पड़ा

: दीपिका वर्मा ने शिक्षक-दिवस पर जो सम्‍मान दिया है, वह मेरे लिए अतुलनीय है : पहले तो यकीन ही नहीं आया कि यह मैं ही हूं, फिर टप्‍प-टप्‍प बरसने लगीं आंखें : गुरू तो तुम ही हो मेरी, चाहे वह दीपिका हो या फिर कविता : काश हर शख्‍स को ऐसी शिष्‍य मिलें, आमीन […]

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हर व्‍यक्ति में देवत्‍व: आचार्य श्रीराम शर्मा

मनुष्‍य और कुछ नहीं, मात्र एक भटका हुआ देवता है
घर-घर में गुंजा दिया सिंहनाद: हम बदलेंगे, युग बदलेगा
पूरी विश्‍व-वसुधा को पाट दिया अपनी मानस संतानों से
मूल्‍यों पर बात की व धरा पर स्‍वर्ग के अवतरण की कल्‍पना
दुनिया भर में गायत्री पीठों की संख्‍या आज हजारों में

आधुनिक भारत में दो महान संत हुए। एक ने समाज के सांस्‍कृतिक व धार्मिक मूल्‍यों से हटकर खुदा को हासिल करने का रास्‍ता खोजा, जबकि दूसरे ने भारतीय सांस्‍कृति के मूलभूत तत्‍वों को पुनर्जीवित कर मानव में देवत्‍व और धरा पर स्‍वर्ग के अवतरण की कल्‍पना की।

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