गौरा ने छोड़ा नन्दी पर शेर, महादेव चारोंखाने चित्त

: सवा सौ बरस की स्मृतियां ताजा कर दी इस तैल-चित्र ने : तब के भगवान हमारे कोमल हृदय में बसते थे, अब दूरस्थ पाषाण-कारा में कैद : भांग में मस्त शिव-भोला पर गृहस्वामी का स्नेह-कोप। गणेश-कार्तिकेय आँचल में जा छुपे : सावन केवल शिव नहीं, पूरे परिवार का समारोह : भगवा ने समाज में […]

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उत्‍सव तो समझ में आया। लेकिन गुडि़या क्‍यों पीटीं ?

: गुडि़या घर की वही महिलाएं बनाती हैं, जो पुण्‍य-प्रसाद के तौर पर पति-देव द्वारा पीटी जाती हैं : बच्चियां तो गुडि़यों की खाल खिंचवाने के लिए लड़कों से गुजारिश और पिटती गुडि़यों को देख-देख कर किलकारियां मारती हैं : हिंसा शस्‍त्र स्‍वादिष्‍ट चिरौंजी, लेकिन उससे हिंसा, बाप रे बाप : कुमार सौवीर लखनऊ : […]

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इस संपेरे ने नाग-राज को पत्‍नी वाले वाम-अंग पर फिट कर डाला

: आइये सावन में भींजिए,हचक कर अंदरसा खाइये और दूध चांपिये, फुंफकार मारिये, मौका मिले तो डंस भी लीजिएगा : सहअस्तित्व के समभाव की सख्त अनिवार्य आवश्यकता : अन्‍यथा सर्वनाशी घमंड का जन्म होगा, जहां सोहर नहीं, मृत्यु का शोक गीत गढ़ता है :  कुमार सौवीर लखनऊ : यह जो संपेरे होते हैं न, एक नम्बर […]

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