लसोढ़ा के बिना भी कोई जिन्‍दगी है ?

: परमानेंट तो हमारी-आपकी सांसें भी नहीं हैं हुजूरेआली : पीढि़यों तक संस्‍कार के लिए जीवन में लसोढ़ा-पन खोजिए : प्रेमचंद की बूढ़ी काकी या फिर मंत्र के उस ओझा की तरह डॉ चड्ढा का मासूम बच्‍चा बचाने वाला लसोढ़ा कहीं और न मिलेगा : अशक्‍त, असहाय, मजलूम, महकूम लोगों को जिन्‍दगी से कोई खास […]

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जैविक पिता से ज्‍यादा पूज्‍य होता है वैचारिक पिता

: नीतिशास्त्र का पिता है सुकरात, अरस्‍तु ने ऐलानिया माना : पिता का जयजयकारा लगाने के साथ हमें उनकी त्रुटियां जाहिर करने का साहस भी दिखाना चाहिए : साहसी व्यक्ति हमेशा न्यायी ही नहीं, अन्यायी भी हो सकता है : प्रेम अगम पटना : सामान्य तौर पर इतिहास में विचारों के तीन क्रम होते हैं […]

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