आज मैं चिन्‍मयानन्‍द के घर में हूं। गांव में

: गोंडा-बहराइच के सीमान्‍त कर्नेलगंज के तरबगंज की सड़क के किनारे पर है मकान : दुर्धष-यात्री की तरह यात्रा कभी थमी नहीं। राजसत्‍ता से लेकर बिस्‍तर तक, और फिर बिस्‍तर से जेल तक : 04 में चिन्‍मयानन्‍द ने अपने सांसदी चुनाव में प्रचार के लिए मुझे उत्‍कोच यानी घूस-प्रलोभन दिया : बाघमंरी मठ से याद […]

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बरसी झमाझम इंसानियत, और मैं नंगा-अवधूत

: आप ठहाके लगाते रहियेगा योगी देवनाथ जी। मैं बस पहुंच रहा हूं : मैं ही अनावृत्‍त औघड़, साक्षात नंगा अवधूत। मुझ में जो कुछ भी है, वह सब का सब नंगा : प्राणदायिनी गोमती-जल से ही आसपास के निवासी दाल चुरवाते हैं : जौनपुर एक बेमिसाल और अजीमुश्‍शान शहर है : कुमार सौवीर लखनऊ […]

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