अरे उल्‍लू के पट्ठों ! स्‍त्री तुम्‍हारा शौचालय नहीं है रे

: मानव के प्रजनन अंगों का वेद बुना है वात्‍सायन व कोका पंडित ने, उसकी भावुकता व संवेदनाओं की व्‍याख्‍या की है ओशो ने : ओशो यानी ओशनिक, अर्थात समुद्र की तरह गहरा, प्रशांत और रत्‍न-सागर : सहवास। अछूते सवालों पर चर्चा ओशो से पहले भगवान तक ने जरूरी नहीं समझा : स्‍त्री को नर्क […]

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ताजा इतिहास में धर्मिक सन्तों ने धर्म को खूब स्खलित किया

: गजब है हमारे देश की सन्त परम्परा, और धन्य हैं हम देशवासी : बुद्ध, महावीर, विवेकानंद, श्रीराम, ओशो, आसाराम के बाद अब श्रीश्री : इब्तिदाये इश्‍क में हम सारी रात जागे, अल्ला जाने क्या होगा आगे : कुमार सौवीर लखनऊ : भारत में साधु-सन्तों ने धर्म और आध्यात्म को जो जबर्दस्त ताकत दी है, वह […]

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