जिन्दगी में अमरबेल क्या चढ़ी, मैं सूखने की कगार तक आ पहुंचा
: मानो बेर पर बेतरह चढ़ी अमर-बेल को किसी ने पशमीना शॉल पहनाया, मेरी जिन्दगी बेर से कम नहीं : तमाम झंझावातों, गालियां के साथ झूठे आश्वासन, दिलासा, वादों और कसमों के बावजूद कुमार सौवीर का वजूद बरकरार : बस, पीठ तेजी से मुड़ती जा रही है, कमर का दर्द असह्य होने लगा है, ब्लड-प्रेशर […]
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