के अरे रामा, चिहुंकी उठी राधारानी, मरद है के नारी, ए हारी

: सावन के झोंके वियोग के थपेड़े मारते हैं या फिर वियोग को धोने के लिए बौछारें : मालिनी अवस्‍थी से पूछूंगा कि, हे देवि। श्रावण-मास का अभिप्राय क्‍या है? : उन्‍मत्‍त वियोगिनियों का अमृतहर्ष-युक्‍त मास है यह सावन, तो फिर विह्वल युवक क्‍या करते होंगे : कुमार सौवीर लखनऊ : बारिश में मौसम की […]

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सावन शुरू: शिव, कजरी और मैं नंगा अवधूत

: कड़कती बिजली आनंदोत्‍वस में जुटी : भीगने का आनंद उठाना लोग भूल चुके : पु‍ल और सड़क सन्‍नाटे में हैं : बारिश ने तबाह गोमती नदी को नया यौवन दे दिया : नदी, मोहब्‍बत और विचारधारा एक सी, रोक दोगे तो मर जाएगी : कुमार सौवीर लखनऊ : कई दिनों बाद सायकिल की याद […]

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