महान संपादकों ने निहाल किया, तो ओछे और छिछोरे भी मिले

: विनोद शुक्‍ला, घनश्‍याम पंकज, शशि शेखर और विश्‍वेश्‍वर कुमार जैसे घटिया संपादक भी मिले : मृणाल पांडेय, डॉ त्रिखा, मंगलेश डबराल, वीरेन डंगवाल, तडि़त कुमार, आनंद स्‍वरूप वर्मा, कमर वहीद नकवी, शेखर त्रिपाठी, अंशुमान त्रिपाठी और संतोष तिवारी ने मुझे नयी ऊंचाइयां दीं : कुमार सौवीर लखनऊ : कई दिग्‍गज और महान पत्रकारों से […]

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पिता दिव्‍य अनुभूति है। अहसास बाप के बाद होता है

: सतर्क रहिये, ताकि चाइल्‍ड-एब्‍यूज न हो : सच जान मैं फ्रैंज काफ्का से विपरीत ध्रुव पहुंचा : वसीली अलांग्‍जांद्रोविच सुखोम्लिस्‍की की किताब है, बाल हृदय की गहराइयां : कुलपति डॉ एसपी नागेंद्र बोले कि आप कढ़े हैं : छठी इंद्री होते ही मैं भागता जैसे माफिया धनंजय सिंह, आईपीएस पाटीदार, अनंत तिवारी या दिनेश […]

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मर्द की औकात तो उसके घर की नेमप्‍लेट तक है। उसके बाहर …

: आप कभी मिले हैं अमृतलाल नागर जी से ? आइये, उनसे मिलिए : प्रो अरुण कुमार सिंह को सब कुछ मुंहजुबानी याद है, जैसे नागर जी : मेधा के साथ याददाश्‍त का बेमिसाल मिश्रण हैं प्रो सिंह : गृह-लक्ष्‍मी का नाम लिखने तक में हेठी समझते हैं अधिकांश पुरुष : नागर जी को भांग […]

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