: नदी में आने वाला नया मोड़ जहाज के लिए हालात मुश्किल : कवर करने में समाचार संस्थानों, अखबारों और पत्रकारों तक ने अपने-अपने खेल किये : मोदी और योगी सरकार की कोशिशों को सौ में सौ नम्बर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यह बस छह महीने का ही फर्क है। नदी वही है, पाट वही है, पानी वही है, प्रवाह वही है, लहरें वही हैं, दिशा भी वही है, लेकिन इस बार नदी में हिचकोले खाने वाला सबसे बड़ा जहाज डगमगा रहा है। नदी के तेवर में आये ऐसे बदलावों को मल्लाह भी खूब समझने लगे हैं, इतना ही नहीं, वे इस बारे में खुल कर बात भी कर रहे हैं कि नदी में आने वाला नया मोड़ जहाज के लिए मुश्किल हालात पैदा कर रहा है।
हम आज भारतीय जनता पार्टी में आये तेवरों पर बातचीत कर रहे हैं। परसों, यानी 12 अक्टूबर-17 को कानपुर में हुए भाजपा के अधिवेशन में पार्टी के नियति-नियंताओं ने साफ तौर पर इशारा कर दिया कि होने वाले निकाय चुनावों में भाजपा मुश्किल में आ सकती है। इसीलिए पार्टी नेताओं ने साफ कर दिया है कि शहरी चुनावों की कुर्सी को होने वाले इन चुनावों में पार्टी केवल उन्हीं लोगों को टिकट दे पायेगी, जिनमें चुनाव जीतने का दमखम होगा।
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भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति की बैठक कानपुर में हुई। यह बैठक होने वाले निकाय चुनावों की तैयारियों को लेकर थी। जिसमें मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार के अधिकांश मंत्री और पार्टी संगठन के अध्यक्ष समेत सभी वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे। शुरूआत मंत्रों के उच्चारण से हुई।। चार टुकड़ों में योगी आदित्यनाथ, डॉ दिनेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्या, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय आदि तमाम लोग तो मौजूद थे ही, लेकिन कई ऐसे-बड़े नेता भी मंच पर दिखायी पड़ गये, जो यूपी सरकार के बनने के बाद पहली बार दर्शनाथ उपस्थित थे। मसलन, विनय कटियार, रमापति त्रिपाठी आदि भी मौजूद थे। बैठक में मोदी और योगी सरकार की कोशिशों को सौ में सौ नम्बर देते हुए पिछली सरकारों द्वारा किये गये कुकृत्यों और लूट-खसोट पर चर्चा की गयी।
अखबारों और पत्रकारों ने भी तेल लगाया
इस समिति को कवर करने में समाचार संस्थानों, अखबारों और पत्रकारों तक ने अपने-अपने खेल किये। जागरण ने तो इस पक्ष को छिपा ही लिया कि भाजपा इस चुनाव में जिताऊ-प्रत्याशी को टिकट देगी। यह दिखाते हुए कि वे भाजपा के प्रति खासे खैर-ख्वाह हैं। उधर हिन्दुस्तान ने इस बैठक में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को तेल लगाते हुए उनका साक्षात्कार छाप दिया। जबकि यह पार्टी का मामला था, न कि किसी मंत्री का।
हां, अमर उजाला ने पूरी ईमानदारी के साथ यह खबर को खेला है।