सावनवा त आ गइल, हेलीकॉप्‍टरवा कहां बा आईजी जी?

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: फैजाबाद-गोरखपुर मार्ग पर शिव-भक्‍त कांवडि़यों का जबर्दस्‍त सैलाब : सावन में इस मार्ग पर वाहनों का यातायात पूरी तरह बंद हो जाता है : आईजी ने कहा था कि निगरानी के लिए उड़न-खटोला लाया जाएगा :

बीएन मिश्रा

बस्ती : फैबाजाद से गोरखपुर तक का राष्‍ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह कांवडि़यों से जाम हो जाता है। जन-यातायात पूरी तरह ठप्‍प हो जाता है। ऐसे में उपद्रवियों की हरकतों की आशंकाएं ज्‍यादा बढ़ जाती हैं। इन आशंकाओं से निपटने के लिए गोरखपुर आइजी जोन मोहित अग्रवाल ने ऐलान किया था कि यहां की निगरानी के लिए एक हेलीकॉप्‍टर की व्‍यवस्‍था की जाएगी। लेकिन सावन के कई दिन बाद भी इस क्षेत्र में सावन की छींटें तो खूब पड़ी हैं, लेकिन उड़न-खटोला का दर्शन नहीं हो पाया। यह हालत यह है कि इस मार्ग पर कांवडि़यों की ठसाठस भीड़ जुटी हुई है।

सावन का पवित्र महीना भगवान शिवजी की पूजा एवं जलाभिषेक के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मास में सारे देवता विश्राम करते है तो महादेव शिव ही संसार का संचालन करते है। शिवजी के साथ हुई कई महत्व पूर्ण बाते श्रावण मास से जुडी है। भगवान शिवजी अपने भक्तो को हमेशा खुश रखते है तथा भक्त भी अपने आराध्य को खुश करने के लिए विभिन्न तरीके से अपनी आस्था भक्ति प्रदर्शित करते है। भगवान शिवजी के प्रति अराधना तथा अटूट भक्ति सावन मास मे देखने को मिलती है शिव भक्त भारत के पवित्र नदियो से जल भरकर शिववालयो मे जलाभिषेक करते है। सनातन धर्म की पुरानी मान्यताओ के आधार पर गंगाजी के जल से स्वंयभू तथा बारह ज्योर्तिलिंगो का जलाभिषेक किया जाता है। लेकिन इस समय लोग सैकडो मील पैदल चलकर शुद्धता व पवित्रता को ध्यान मे रखते हुए अन्य पवित्र नदियों से जल भर कर शिवालयो मे जलाभिषेक करते है।

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पूर्वांचल के गोरक्ष-क्षेत्र में कांवड यात्रा कर कांवडि़ये अयोध्याधाम के पवित्र सरयू नदी के जल से पहले अयोध्या मे स्थित नगेश्वरनाथ का जलाभिषेक करते है उसके बाद अयोध्या से लगभग ६० किलोमीटर पैदल चलकर बस्ती के पास स्थित भदेश्वरनाथ मंदिर मे जलाभिषेक करते है। दशकों पहले तो इस यात्रा मे बहुत कम लोग ही जाते थे लेकिन इस समय इनकी संख्या लाखो में हो गयी है।हालत यह है कि इस पूरे दौरान इस राष्‍ट्रमार्ग पर एक भी वाहन नहीं चल पाता है। जिन्‍हें भी फैजाबाद-गोरखपुर आना-जाना होता है, वे किसी दूसरे मार्गों से आते-जाते हैं।

सावन मास की तेरस को भदेश्वरनाथ मंदिर मे जलाभिषेक किया जाता है। कांवर उठाने वाले भक्त चार-पांच दिन पहले ही इस यात्रा पर घर से निकल कर अयोध्याधाम में पहुंच जाते है वहां नगेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक के बाद ये श्रद्धालु पवित्र सरयू नदी से जल भर कर पैदल ही निकल पडते है। जिसमे मुख्य रूप से ये श्रद्धालु विक्रमजोत, हर्रैया, तिलकपुर तथा बस्ती में विश्राम करते है। इस यात्रा को भक्त तीन प्रकार से करते है पहले कांवर लेकर पैदल अयोध्या से भदेश्वरनाथ जाते है दूसरे वाहन से तथा तीसरे को डाकबम कहा जाता है जो कांवर यात्रा के दौरान बीच मे रूकते नही।  इनको जलपान के लिए सचलबम सेवा वाले गाडियो से साथ-साथ चलते रहते। कांवरिये नाचते झूमते हुए हर-हर महादेव बोलबम के नारे लगाते ६० किमी0 की दूरी तय करते है। रास्ते मे स्वंयसेवी संस्थाओ द्वारा जगह-जगह पर कैप लगाकर कांवरियो की सेवा की जाती है।

लेकिन समय के साथ इस यात्रा मे भी परिवर्तन आ गया है। शिव भक्त इस यात्रा में भोले बाबा की बूटी का जमकर इस्तेमाल करते है। कांवर भक्तो की संख्या ज्यादा होने से प्रशासन के भी पसीने छूट जाते है। इस चार-पांच दिन की यात्रा में फैजाबाद से बस्ती तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात भी बन्द कर दिया जाता है लेकिन कावंरियो के वाहन पर कोई रोक नहीं होती अगर आप गेरूआ बस्त्र पहन कर गाडी चलाते है तो आपको कोई रोकने वाला नही है। क्योकि कांवर यात्रा का यह स्वरूप एक समूह का रूप ले लेता है जिससे आने जाने वालो को भी असुविधा होती है। इसमे हुडदंग करने वालो की संख्या काफी बढ गयी है। लेकिन पुलिस प्रशासन भी हुडदंगियो पर कडी नजर रखती है।

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