: लखनऊ के सर्वश्रेष्ठ साइंस व मेडिकल सेंटर बनाने वाली अखिलेश सरकार की घोषणाओं पर एक नजर : 11 मेडिकल कालेज-संस्थान हैं, फिर क्यों भेजा जाता है नये रजवाड़ों को निजी क्षेत्र के मेदान्ता अस्पताल : लखनऊ के कई डॉक्टरों का नाम दुनिया भर में मशहूर, मसलन मजहर हुसैन :
कुमार सौवीर
लखनऊ : जन-स्वास्थ्य के प्रति सजग अखिलेश सरकार के दावे :- राजधानी लखनऊ में विज्ञान और चिकित्सा क्षेत्र अब सर्वश्रेष्ठ स्तर तक पहुंच चुका है। आम आदमी को सामान्य मर्ज से लेकर कैंसर तक जैसी बीमारियों से राहत दिलाने के लिए बड़े-बड़े संस्थान मौजूद हैं। इनमें गोमती नगर में बना राममनोहर लोहिया संस्थान और अब सुल्तानपुर रोड पर बने नये कैंसर इंस्टीच्यूट बेमिसाल हैं। इतना ही नहीं, पीजीआई और किंग जार्ज मेडिकल कालेज और चिकित्सा विश्वविद्यालय व उनसे सम्बद्ध मेडिकल कालेज अपनी पूरी क्षमता और कुशलता के साथ आम आदमी की सेवा में जुटे हुए हैं।
राजधानी क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाएं :- यह दावा तो सच ही है कि लखनऊ और उसकी शहरी सीमा पर जितने चिकित्सा केंद्र हैं, उनका मुकाबला देश ही नहीं, किसी भी देश के किसी भी महानगर से नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं, लखनऊ में जितने मेडिकल कालेज अब तक कार्यरत हैं, उतने दिल्ली, मद्रास, मुम्बई और कलकत्ता तक में नहीं हैं।
आइये, राजधानी लखनऊ में चिकित्सा क्षेत्र के क्या-क्या संसाधन मौजूद हैं। लखनऊ में तकरीबन एक सौ साल पुराना मेडिकल कालेज है, जिसकी धाक आज भी पूरी दुनिया में है। नाम है किंज जार्ज मेडिकल कालेज। यहां के पढ़े डाक्टरों को पूरी दुनिया में जार्जियंस के तौर पर सम्मान दिया जाता है। दुनिया का शायद ही कोई देश होगा जहां इस कालेज से पढ़े डॉक्टर न रहते-बसते हों। इसी मेडिकल कालेज को इस समय मेडिकल यूनिवर्सिटी का ओहदा दिया गया है। पहले यह कालेज लखनऊ यूनिवर्सिटी का ही एक कालेज हुआ करता था।
इसके अलावा रायबरेली रोड पर संजय गांधी पीजीआई नाम का एक संस्थान है, जहां स्नातकोत्तर शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता है। इस संस्थान की भी धाक पूरे देश में है और मध्य एशिया क्षेत्र के कई देश यहां अपना इलाज कराने आते हैं। एसजीपीजीआई के बाद सरकारी क्षेत्र से एक विशालकाय संस्थान है लोहिया संस्थान। मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान उसे बनवाया था। समाजवादी पार्टी सरकार का दावा है कि यह देश के सर्वाधिक उन्नत और अत्याधुनिक चिकित्सा संस्थान है। इसके अलावा हाल ही सुल्तानपुर रोड पर सरकार ने एक नया कैंसर संस्थान स्थापित किया और उसकी कुशलता को लेकर खूब दावे किया जा चुके हैं।
निजी क्षेत्र में चिकित्सा सक्रियता :- सरकारी क्षेत्र से अलग हट कर निजी क्षेत्र ने भी राजधानी में खूब काम किया है। कैरियर मेडिकल कालेज, ओपी चौधरी मेडिकल कालेज, इंटीग्रल मेडिकल कालेज, हिन्द मेडिकल कालेज, बीबीडी मेडिकल कालेज, एरा मेडिकल कालेज, मेयो मेडिकल कालेज और टीएसएम मेडिकल कालेज जैसे विशालकाय चिकित्सा केंद्र राजधानी की शान में चार-चांद बने हुए हैं। इतना ही नहीं, सहारा अस्पताल भी राजधानी के श्रेष्ठ अस्पतालों में शुमार है। खासकर मस्तिष्क और हृदय रोगों के सन्दर्भ में। यहां डॉ मजहर हुसैन, आरके मिश्र और नकुल सिन्हा जैसे नामचीन डॉक्टर मौजूद हैं।
अखिलेश सरकार की कवायदें :- सपा के मुखिया हैं मुलायम सिंह यादव। उन्हें एक बार शारीरिक कष्ट हुआ तो तत्काल गुड़गांव में बने पांच-सितारा सुविधाओं से युक्त मेदान्ता अस्पताल भेज दिया गया। यह अस्पताल निजी क्षेत्र का है। वरिष्ठ आईएएस शैलेष कृष्ण को मस्तिष्क-आघात हुआ, तो सरकारी व्यवस्था के तहत उन्हें फौरन गुडगांव स्थित इसी मेदान्ता में हवाई-एम्बुलेंस से भर्ती करा दिया गया। और अब सड़क हादसे में आईएएस अफसर नवनीत सहगल को चोटें आयीं, तो उन्हें भी तत्काल इसी गुड़गांव स्थित मेदान्ता में हवाई-एम्बुलेंस से भेजा गया।
यूपी में जन-स्वास्थ्य का ढांचा कैसा है, इसके लिए मेरी बिटिया डॉट कॉम की टीम ने लम्बी कवायद और खोजबीन की है। यह पूरी मेहनत हम श्रंखलाबद्ध तरीके से छापने जा रहे हैं।
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