राष्‍ट्रपति को भेजा शिकायती पत्र जब हाजीपुर पहुंचा तो दारोगा बोला: रूक, तेरी मां का …

सैड सांग

: बिहार का एक वरिष्‍ठ पत्रकार अपनी पैत्रिक सम्‍पत्ति के लिए हर दर पर भटक रहा : वैशाली में तीस साल पहले खुलेआम फसल लूटने के बाद कर ली गयी सारी सम्‍पत्ति : दारोगा कहता है कि तेरी … में डण्‍डा घुसेडूंगा हरामजादे मादर … :

अशोक अनुराग

वैशाली-हाजीपुर : 1987-88 में दबंगों और लुटेरों ने मेरी ज़मीन को लूटने और जाली रजिस्ट्री द्वारा दाख़िल ख़ारिज़ की साजिशें बुन डालीं। रोज ब रोज़ मेरे खेत में बम फूटने लगे और डराने के लिये बंदूक से ठाएँ ठाएँ गोलियां हवा में दागी जाने लगी। केला आम लीची की लूट मच गई तो न्यायालय के अलावा मैंने पचीस मई- 88 को एक पत्र महामहिम राष्ट्रपति को लिखा। पत्र का शीर्षक था मेरी जमीन पर हो रहा बलपूर्वक अवैध कब्‍जा।

उस पत्र के जवाब में राष्ट्रपति सचिवालय से 7 जून 1988 की तारीख़ वाला एक पत्र मेरे पास आया जिसमें ये लिखा था कि मेरा पत्र उचित कार्यवाही हेतु बिहार के मुख्य सचिव को भेजा जा रहा है। मुख्य सचिव बिहार से भी एक पत्र मुझे मिला जिस पर 5/7/1988 की तारीख़ थी। उस पत्र में मुझे लिखा गया कि मामला वैशाली के ज़िलाधीश यानि कलेक्टर के न्याय क्षेत्र का है। ऐसी हालत में आप उनसे इस पत्र के आधार पर आगे संपर्क रखें।

महामहिम राष्ट्रपति जी के सचिवालय से चला यह पत्र मुख्य सचिव बिहार के दफ़्तर से होता हुआ डीएम वैशाली को भेज दिया गया। डीएम ने देखा कि मेरी ज़मीन का विवाद है और धमाधम बम गोली चल रही है तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक को वो पत्र पकड़ा दिया और उचित कार्यवाही करने को कहा। कप्‍तान साहब ने इंस्पेक्टर को वो पत्र थमाया और उचित कार्यवाही करने को कहा। इंस्पेक्टर ने गंगा ब्रिज थाना के दरोगा को वो पत्र थमाया और उचित कार्यवाही करने को कहा। दरोगा जी ने अपने जूनियर जमादार को बुलाया और वो पत्र उसे देते हुए बोले जाओ उचित कार्यवाही करो।

जमादार ने बुलेट मोटरसाइकिल उठाई और मेरे घर के बाहर आकर पत्र को लहराते हुए कहा – साले मादर …., बहन …., अपने बाप राष्ट्रपति के पास जाता है, देख यही है न उ चिट्ठी, साले तेरी माँ को…., तेरी बहन के…. …. तेरे गाँड़ में बाँस करके चौराहा पर खड़ा कर देंगे, लगभग घंटा भर मुझे गलियों और धमकी का कोटा देकर बुलेट मोटरसाइकिल से लौट गए।  इस बीच मेरे कुछ भी कहने पर वही पुलिसिया धमकी मिली कि साले ऐसा दफ़ा लगाएंगे की जमानत नहीं होगा।

आज 2017 में लगभग 30 साल होने को आये, लेकिन आजतक महामहिम राष्ट्रपति जी के सचिवालय से और फिर मुख्य सचिव बिहार से जारी उस पत्र पर कोई एक्शन नहीं हुआ, बिहार की न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था से उम्मीद की आस लगाए मेरे दादा जी, पिता जी और माँ इस दुनिया को छोड़ चुके हैं, क्या अब मेरी बारी है ?

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