गंदी बात। तुमने एसएसपी मंजिल सैनी की बातचीत वायरल क्‍यों की पत्रकार जी? यह गंदा धंंधा है

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: साधना चैनल में काम करते हैं अभिषेक मिश्र : तुम्‍हारा काम पत्रकारिता करना है या फिर अफसरों से फोन पर हुई बातचीत को बेच देना : इससे बड़ा दुखद हादसा क्‍या होगा कि अब लखनऊ की पत्रकारिता की दिशा ऐसे गंदे नाला की ओर बढ़ रही :

कुमार सौवीर

लखनऊ : लखनऊ के एक पत्रकार खुद को साधना नामक एक चैनल में बड़े ओहदे पर बताते हैं। नाम है अभिषेक मिश्र। आजकल वे एक विवाद में आ गये हैं। मामला है लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी से बातचीत करना और फिर उस बातचीत की ऑडियो-फाइल वायरल कर देना। अब आरोप यह लग रहा है कि यह ऑडियो-फाइल एक घिनौने घंधेबाजी के चलते वायरल की गयी है। जानकार बताते हैं कि इस ऑडियो वायरल-काण्‍ड के बाद से लगभग सभी वरिष्‍ठ पुलिस अफसरों ने अभिषेक मिश्र की कॉल को ब्‍लॉक कर दिया है।

अब जरा यह मामला समझ लीजिए। हुआ यह कि अभिषेक मिश्र के एक ताजा-ताजा मित्र बने हैं शाजी। पूरा नाम है शाजी अहमद सिद्दीकी। शाजी से अभिषेक मिश्र की मित्रता से पहले अभिषेक की दोस्‍ती नातिक खान से हुई थी। शाजी और नातिक एक-दूसरे के विरोधी हैं। लेकिन बताते हैं कि नातिक से लेन-देन का रिश्‍ता टूट जाने के चलते अभिषेक ने अपनी पींगें शाजी के पाले में छानना शुरू कर दिया।

सूत्रों ने खबर दी है कि यह शाजी नामक शख्‍स धोखेबाजी के मामले में फंसा हुआ है। जिसके खिलाफ एक बड़ा मामला वजीरगंज कोतवाली में बाम्‍बे मार्केंटाइल बैंक प्रबंधन ने पहली मई-16 को दर्ज कराने की अर्जी लगायी थी। थाने कोतवाली को दी गयी अर्जी में बैंक प्रबंधन ने लिखा था कि यह घोटाला पांच करोड़ रूपयों का है। लेकिन कोतवाल महंथ यादव ने यह मामला दबाये रख। सूत्रों का कहना है कि अभिषेक की पैरवी के चलते यह मामला कोतवाली में लटका ही रहा। बडा दारोगा यानी कप्‍तान को पता ही नहीं चला। लेकिन दो महीनों बाद 30 जून-16 को आखिरकार यह मामला कोतवाली के रजिस्‍टर पर दर्ज हो पाया था।

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोप यह लगने लगा कि नातिक ने ही जोर लगा कर शाजी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। ऐसे में शाजी ऐंड कम्‍पनी ने नातिक खान के खिलाफ मोर्चा लगा दिया। इन लोगों को यह लगने लगा था कि शाजी के खिलाफ चल रही पुलिस कार्रवाई के पीछे नातिक ही मूल षडयंत्रकारी हैं। ऐसे में इन लोगों ने नातिक खान के खिलाफ चौ-तरफा जोर लगाना शुरू कर दिया।

इसी प्रक्रिया में एक दिन शाजी की पैरवी कर रहे अभिषेक मिश्र ने लखनऊ की वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी को फोन पर सम्‍पर्क किया। फोन पर अभिषेक ने शाजी को पूरी तरह निर्दोष साबित किया और पूरे मामले का ठीकरा नातिक के माथे पर फोड़ा। हैरत की बात है कि एक पत्रकार को किसी खबर के बारे में बातचीत का तो औचित्‍य समझ में आता है, लेकिन किसी शख्‍स के खिलाफ पैरवी करने की बात समझ में नहीं आती।

इतना ही होता तो भी गनीमत थी, लेकिन अभिषेक से मंजिल सैनी से हुई बातचीत उसके फौरन वायरल हो जाने से मामला अभिषेक के खिलाफ और पुख्‍ता हो गया। हालांकि अभिषेक बताते हैं कि उन्‍हें नहीं पता है कि यह ऑडियो-फाइल कैसे वायरल हुआ।

अब सुन लीजिए कि लखनऊ की वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी से अभिषेक मिश्र की क्‍या बातचीत हुई, जिसका ऑडियो-फाइल अब वायरल है। ऑडियो को सुनने के लिए यह लिंक क्लिक कीजिए:- पत्रकारिता का गंदा नाला

पत्रकारिता में अब गजब गिरगिटी अंदाज में संड़ांध-बदबू मारने लगा है। इससे जुड़ी खबरों को अगर आप देखना चाहें तो निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- कलंकित पत्रकारिता के मजबूत पहरूए

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