: गोरखपुर के एक पूर्व विधायक और मुर्दहा-बाबा ने पत्रकारों को रखैल बताया : एक घटिया ढोंगी से इतने से ज्यादा की उम्मीद करना ही बेमानी : लीजिए, जवाब हम दिये देते हैं। सच बात यह है राजेश त्रिपाठी, कि तुम वाकई पक्का दर… हो : स्थानीय विधायक को अश्लील गालियां देता रहा यह दर… ढोंगी बाबा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अगर कोई स्थापित-घोषित तौर पर बन चुका एक ढोंगी अगर झूठ का सहारा लेकर अपनी पराजय को नैतिकता के तौर पर जीत के सेहरे के तौर पर पहनना चाहे तो आप उस ढोंगी को क्या सा उपयुक्त नाम देना चाहेंगे। जाहिर है कि यह नाम ढोंगी बाबा से कम तो नहीं हो पायेगा। लेकिन अगर कोई ऐसा ढोंगी बाबा लाशों के नाम पर अपना साख जुटा रहा हो, तो ऐसी हालत में आप उस बाबा को कौन सा नाम या विभूषण देना चाहेंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि ऐसे पाखण्डी को मुर्दहा-बाबा से ज्यादा प्रभावी नाम नहीं सुझाया जा सकेगा। और आखिर में एक अंतिम सवाल भी है आपके जैसे सुधी-पत्रकारों के समुदाय से है। वह यह कि ऐसा कोई ढोंगी-मुर्दहा बाबा पत्रकारों को अगर रखैल के तौर पर पुकारना शुरू कर देगा, तो आप उसका जवाब क्या देंगे।
आप इस सवाल का जवाब इसके पहले सोचें, सुझायें या उसका ऐलान करें, मैं सार्वजनिक तौर पर ऐसे शख्स को जिस नाम से पुकारूंगा, वह है:- दर…।
मेरे साथ एक नैतिक संकट है कि मैं सामान्य तौर पर अपनी बात कहने के लिए महिलाओं से जुड़े शब्दों या गालियों के बल पर अपना निशाना लगाना पसंद नहीं करता। यह मेरी नैतिक मजबूरी है, मेरे आदर्श, मेरे संस्कार और मेरे आचार-विचार महिलाओं से जुड़ी या उनके अंग-उपांगों से जुड़ी-केंद्रित गालियों से परहेज करता हूं। लेकिन अगर कोई दूसरा शख्स किसी समझदार, साहसी, सजग, सतर्क और जिम्मेदार-दायित्वपूर्ण समुदाय के सदस्यों पर रखैल जैसे आरोप लगाता है, तो ऐसे आरोप करने वाले को केवल दर— ही कहा जा सकता है। अब यह शब्द क्या है, इसे पूरा कहने या समझने की जरूरत नहीं। आप और हम सब खूब समझ रहे होंगे कि मेरा इशारा या अभिप्राय क्या है।
एक ढोंगी है। उसका धंधा है अपने धंधे को चमकाने के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा करना। और इस धंधे को नैतिक आधार और सामाजिक मान्यता दिलाने के लिए मुर्दों के लिए घाट बनाना। लेकिन अपने चेहरे को धार्मिक बनाने के लिए उसने खुद को किसी बाबा का पाखण्डी-रूप धारण कर लिया है। बहरहाल, अपने इसी पुनीत धंधे की आड़ में इस ढोंगी मुर्दहा बाबा ने सैकड़ों की तादात में दूकानें बनायी हैं, जिनसे आने वाले किराये से वह अपना ऐश्वर्य भोग रहा है।
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जी हां, मैं गोरखपुर के बड़हलगंज विधानसभा से पूर्व विधायक राजेश त्रिपाठी के बारे में बात कह रहा हूं। बसपा में रह कर भाजपा को गालियां देने वाले राजेश त्रिपाठी को जब पिछले में वहां के मतदाताओं ने बुरी तरह हुरिया दिया, तो वे उचक कर भाजपा की गोद में बैठ गये। खलिहर बांदर की तरह केवल श्मशान घाट तक सिमट राजेश को अचानक लगा कि अगर वे स्थानीय विधायक विनय तिवारी से भिड़ जाएं, तो भाजपा के नेताओं के लाड़ले हो जाएंगे। यह तय करते ही राजेश ने हर डाल पर कूदना-उछलना शुरू कर दिया।
शनिवार को तो अति ही हो गयी। एक सरकारी कार्यक्रम में स्थानीय सांसद की शह पर राजेश त्रिपाठी स्थानीय विधायक के लिए आरक्षित सीट पर बैठ गये। जाहिर है कि आपत्ति शुरू हो गयी। सूत्र बताते हैं कि इस पर राजेश और उसके चेलों ने ऐसी ऊल-जुलूल हरकतें और बदतमीजियां करना शुरू कर दिया, जिससे मामला भड़क गया। सूत्र बताते हैं कि राजेश त्रिपाठी ने स्थानीय विधायक को गालियां देना शुरू कर दिया था। जाहिर है कि दोनों ही ओर से बवाल शुरू हुआ। आखिरकार सांसद इस कार्यक्रम को छोड़ कर चले गये। उसके बावजूद कार्यक्रम चलता ही रहा।
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ढहा दिया गया था गोरखपुर जिलाधिकारी कार्यालय का मेन गेट
लेकिन अपनी मुंह की खाने के बाद इस ढोंगी राजेश त्रिपाठी ने फेसबुक पर बाकायदा अभद्रतापूर्ण पोस्ट डाली। इसमें आखीर में पत्रकारों को भी रखैल शब्द से नवाज लिया। मेरी चिंता का विषय उस घटना का ब्योरा नहीं है। मैं तो उन पत्रकारों को दी गयी गालियां पर आहत हूं, जो ढोंगी राजेश त्रिपाठी ने दी, जिसे क्षेत्रीय लोग ढोंगी मुर्दहा बाबा के तौर पर जानते-पहचानते और पुकारते भी हैं। उसने पत्रकारों को रखैल की उपाधि दी है, जवाब में मैं इस ढोंगी मुर्दहा बाबा को दर… की उपाधि फेंक कर मार रहा हूं, जैसे जूता खींच कर मारा जाता है। सीधे चेहरे पर नाक, होंठ और आंख-गाल तक। ऐसा जूता जो कल, परसों या अगले हफ्ता-महीना ही नहीं, बल्कि बरसों और सदियों तक को लोगों को याद रहे।
अरे तुम नराधम है राजेश त्रिपाठी। खुद को भाजपाई, ब्राह्मण और बाबा कहलाते हो, तुम्हें इतनी तक तमीज नहीं कि अपनी निजी खुन्नस-रंजिशों का समाधान महिलाओं के सम्मान की चौखट को रौंद कर नहीं किया जाता है। खास कर नवरात्रि जैसे पुनीत-पुण्य पर्व के दिनों में, जहां साक्षात औरत ही देवी की रूप में प्रतिष्ठापित हो जाती है। लेकिन तेरे जैसे निकृष्ट कीट को इतनी भी लज्जा नहीं आयी दुष्ट भैंसे। तेरा तो काल तो साक्षात महिषासुर-मर्दिनी ही करेगी। आने ही वाली होंगी खड्ग-खप्पर वाली काली, तेरा शिरोच्छेद करने के लिए दुष्ट-नराधम।
बहरहाल, अब जरा राजेश त्रिपाठी के लिखी पोस्ट पर एक नजर डाल लीजिए, जिसे उसने पत्रकारों को रखैल के शब्द से नवाजा है:-
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…..सलाम करना चाहूँगा अपने बड़हलगंज भाजपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के गजब के संयम और धैर्य के लिये…..
आज जिस तरह का बर्ताव बसपा के वर्तमान चिल्लूपार विधायक के शह पर उनके बदतमीज, मनबढ़ और गुन्डे समर्थकों द्वारा बड़हलगंज में नंगा नाच किया गया …. अगर उसका दसवां हिस्सा भी उसी लहजे में भाजपा द्वारा प्रतिकार हुआ होता तो… आज बड़हलगंज ब्लाक परिसर लहूलुहान इतिहास की तारीख में दर्ज हो गया होता….
वहाँ बसपा विधायक के गुन्डे यह तय कर रहे थे कि भाजपा सरकार के मुखिया मोदीजी और योगी जी द्वारा गरीबों को फ्री में दिये जाने वाले प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास वितरण के मंच पर कौन कौन बैठेगा….?
भाजपा सरकार के इस कार्यक्रम में पिछले छ: महीने से अपनी उपेक्षा का दंश झेल रहे नये-नये बने विधायक जी द्वारा अपने समर्थकों से दबाव बनवाकर मोदी – योगी की तारीफ होने वाली योजना में शामिल होने पहुंच गये…. कोई बात नहीं… वे एमएलए हैं तो वीडीअो सम्मान देगा ही….!
इधर हमारी पार्टी की सरकार का ॠण माफी के बाद सबसे लोकप्रिय नि:शुल्क आवास वितरण कार्यक्रम…., ऊपर से वीडीअो के साथ – साथ मुख्य अतिथि सांसद श्री कमलेश पासवान जी का भी मुझे आमंत्रण, जिला संगठन का भी निर्देश…. कि आपको (हमें) कार्यक्रम के दौरान रहना है…. ऐसे में हम भी अपनी सरकार के कार्यक्रम में पहुँचने का मन बना ही लिये….
सांसद जी ने वीडीअो को बता भी दिया था कि भाजपा के इतने लोग मंच पर बैठेगें…. 9 कुर्सी लगी भी…. फिर माफिया परिवार के सरकस मनबढ़ों की वहाँ पहले ही टीम पहुंच गई … ब्लाक प्रमुख “ससुर” पहले से ही ग्रिप में था ही….
कुर्सी हो गयी 9 से केवल 3…
कि किसी भी कीमत पर “रजेशवा” (वहाँ यह मेरे लिए सबसे सभ्य विशेषण होता है)
को मंच पर नहीं बैठने देना है…. और अगर मंच पर आया तो सारी खुन्नस आज ही निकाल लेनी है….
वही हुआ…. चीफ गेस्ट सांसद ने हमें और भाजपा मण्डल अध्यक्ष विश्वामित्र त्रिपाठी को ज्यों ही मंच पर बुलाया…. नीचे बैठे बसपा विधायक के गुन्डे मंच पर टूट पड़े…. मारो – भगाओ – हटाओ – खदेड़ो – मंच से फेंको – पीटो… यह प्रयोग की जाने वाली सबसे सभ्य शब्दावली रही… भाजपा अध्यक्ष को मंच से धक्का दे दिया गया… अगर मेरा हाथ उन्हें मजबूती से पकड़ा न रहता तो वे नीचे गिर चुके होते…. मेरी भी बांह पकड़ कर नीचे धकेलने का प्रयास हुआ… खुलेआम असलहे लहराये गये… गालियों की तो बौछार ही रही…. नौजवान कुड़ाल, आलोक, धनन्जय, रामा, भुवनेश्वर जैसे अनेकों की बदतमीजी तो हतप्रभ कर ही रही थी… उससे अधिक हतप्रभ तो राजबहादुर और मदन जैसे पके फलों की कर रही थी…. और नये – नवेले विधायक जी मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे….
…..अब सांसद जी का धैर्य जबाब दे गया… स्पष्ट कहा- वीडीओ और सुरक्षा में लगे थाने के दरोगा सिपाही से कि…. ना…! अब ये कार्यक्रम नहीं होगा, इसे स्थगित कर रहा हूँ…. तुम लोगों के लापरवाही और अव्यवस्था से यहां तो बड़ी घटना होने जा रही है…. जहाँ अपने ही भाजपा के राज में बसपा के गुन्डों की तुम लोग गुन्डई तक नही रोक पाए रहे तो हम भाजपा कार्यकर्ताओं का अपमान नहीं सह सकते…. यह कहते हुए सभी मौजूद सैकड़ों कार्यकर्ता वहां से चल दिये…
मजेदार तो बीडीओ की एक और कार्यशैली रही कि मुख्य अतिथि के कार्यक्रम स्थगित कर देने और चले जाने के बाद भी वह इंसान प्रमाणपत्र बंटवाता रहा….
उमीद है कि सुरक्षा और वितरण व्यवस्था में लगे अधिकारी पूरे प्रकरण का संज्ञान लेगें…..
हाँ एक बात और बड़हलगंज के “कुछ” पत्रकार और “उन कुछ” की पत्रकारिता पर उन्हें धिक्कारने का जी कर रहा….
पता नहीं रखैल शब्द उचित होगा कि नहीं…?
राजेश त्रिपाठी
चिल्लूपार