इन बड़े अखबारों की निगाह में पत्रकार पर बरसी गुण्‍डों की लाठियां वाली खबर ही नहीं दिखती

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: जौनपुर का हर अखबार ब्‍यूरो-चीफ सिर्फ दलाली करता है। कोई खुली, कोई खामोश तो कोई बीमा लेकर : हिन्‍दुस्‍तान, जागरण और अमर उजाला ने पूरी तैयारी कर डाली पत्रकारिता की शवयात्रा निकालने की : समाजवादी गुण्‍डे और उसके नाजायज गनर ने सरेआम पत्रकार को पीटा, सारे अखबार खामोश :

कुमार सौवीर

लखनऊ : हालांकि इस बात का भण्‍डाफोड़ हो चुका है कि जौनपुर में खुद को मिनी-मुख्‍यमंत्री कहलाने वाले सपा-सरकार के मंत्री पारसनाथ यादव का कद बेहद मामूली है। उनसे ज्‍यादा और मीलों-कोसों ऊंचा कद तो पारसनाथ यादव के बड़े कुपुत्र बेटे लक्‍की का है, जो अपना मनबढ़ प्रवृत्ति, अराजकता, हिंसा और बेकाबू आपराधिक गतिविधियों में लिप्‍त है। लेकिन अब तो यह लग रहा है कि लक्‍की से ज्‍यादा विशाल कद तो जौनपुर के पत्रकारों का है, जो सिर्फ दलाली पर आमादा हैं। आप मडि़याहूं में अमर उजाला और ईटीवी के संवाददाता ब्रजराज चौरसिया समेत दर्जनों नागरिकों पर हुए हमले को देखिये, सारे अखबारों ने इस खबर को दर-किनार कर दिया है। अमर उजाला ने तो अपने ही रिपोर्टर का नाम तक छापने से इनकार कर दिया, जबकि हिन्‍दुस्‍तान और दैनिक जागरण ने इस पर एक शब्‍द तक नहीं छापा।

आपको बता दें कि दो दिन पहले शाम को ब्रजराज चौरसिया मडि़याहूं से जौनपुर आ रहे थे, कि रसेना बाजार में लगे जाम में उनकी बाइक भी फंस गयी। इसके कि पहले वे उस से निपट पाते, अचानक पारसनाथ यादव के दुष्‍कर्मी-पुत्र लक्‍की यादव और उसके नाजायज गनर ने जाम में फंसे नागरिकों पर हमला बोल दिया। लक्‍की चाहता था कि यह जाम तत्‍काल साफ हो जाए, लेकिन कोई दो मिनट तक तेज सायरन बजाने के बावजूद जब लक्‍की की गाड़ी जाम से नहीं निकल पायी, तो लक्‍की और उसके नाजायज गनर ने खुद ही लाठियां निकाल लीं और नागरिकों पर जमकर लठियाय दिया। इस अचानक और अप्रत्‍याशित हमले को देख कर जाम में फंसे लोगों में भगदड़ मच गयी। यह लाठियां और घूंसे पत्रकार ब्रजराज चौरसिया पर भी पड़े। ब्रजराज ने जब भस्‍मासुर-लक्‍की से इस पर ऐतराज किया तो उसने गालियां बकीं।

इस हादसे के तत्‍काल बाद चौरसिया ने जिले के सभी वरिष्‍ठ पत्रकारों और विभिन्‍न पत्रकार संघों के पदाधिकारियों को अवगत कराया। लेकिन हैरत की बात है कि अगले दिन किसी भी अखबार ने इस हादसे पर एक लाइन तक नहीं छापी। जबकि ब्रजराज चौरसिया ने हिन्‍दुस्‍तान और दैनिक जागरण के ब्‍यूरो प्रमुखों को निजी तौर पर इस हादसे की सूचना दे दी थी। इन सभी ने आश्‍वासन भी दिया था कि चूंकि यह हादसा पत्रकार और आम नागरिक पर हुए हमले के चलते बेहद संवेदनशील है, इस हादसे को वे पूरे मामले को प्रमुखता से छापेंगे। लेकिन हिन्‍दुस्‍तान और जागरण ने अगले दिन मामला ही गोल कर दिया।

अमर उजाला ने तो इस हादसे का जिक्र किया, लेकिन ब्रजराज को पत्रकार मानने से ही इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, अमर उजाला ने उस खबर में न तो मंत्री पारसनाथ यादव का नाम छापा और न ही पारसनाथ के कुपुत्र लक्‍की का जिक्र किया। ब्रजराज को पत्रकार मानने के बजाय इस अखबार ने उसे अधिवक्‍ता करार दे दिया। लेकिन हैरत की बात है कि इस हादसे को न तो अधिवक्‍ता संघ उठा रहे हैं और न ही जिले में बनीं पचासों पत्रकार यूनियनें। लेकिन इस और ऐसे हादसों-हमलों पर www.meribitiya.com लगातार सतर्क और सक्रिय है।

लक्‍की यादव की गुण्‍डागर्दी से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- गुण्‍डा भस्‍मासुर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *