नृपेंद्र मिश्र ने अपनी ऐनक उतारी और अपनी आंखें पोंछ लिया
संवेदनशील नौकरशाह नृपेंद्र मिश्र बने पीएमओ के प्रधान सलाहकार
कुमार सौवीर
लखनऊ : ढाई साल पहले दिल्ली एयरपोर्ट के सामने बने एक पंचसितारे होटल में अपने मित्र शीतल की बेटी की शादी में शामिल हुआ था। वहीं यूपी कैडर के वरिष्ठतम और पूर्व आईएएस अफसर नृपेंद्र मिश्र से भी भेंट हुई। तब श्री मिश्र ट्राई के अध्यक्ष थे। मैंने अपना परिचय दिया तो पिताजी का नाम सुनते ही श्री मिश्र ने मुझे अपनी बांहों में समेट लिया और उसके बाद परिवार, पत्रकारिता और राजनीति पर भी बात शुरू हो गयी।
मैं पत्रकार हूं तो जाहिर है कि मैंने उनसे यूपी की नौकरशाही पर बात छेड़ दी। किंजल सिंह नामक एक युवा आईएएस लड़की को तब की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा निलम्बित करने के प्रकरण को मैंने सन्दर्भ के तौर पर पूछ लिया। किंजल सिंह इस नौकरी में पहली-पहली बार दाखिल हुई थी और उसकी पहली पोस्टिंग थी लखनऊ के बख्शी तालाब इलाके में प्रशिक्षु एसडीएम के तौर पर। चूंकि मेरा बेटा खुद भी आईएएस अफसर है, इसलिए मैं किंजल जैसे युवाओं को लेकर ज्यादा चिंतित रहता हूं। मैंने अपने चैनल में इस खबर को खासी तरजीह भी दी थी।
तो, मैंने नृपेंद्र मिश्र से हैरत में पूछा कि मुख्यसचिव और लखनऊ के कमिश्नर और डीएम जैसे बड़े अफसरों के होते हुए भी एक नयी अफसर पर यह कार्रवाई हुई और इन बड़े अफसरों में से कोई एक ने भी चूं तक क्यों नहीं बोला।
नृपेंद्र मिश्र ने अपनी एक टांग पर दूसरी टांग चढ़ाते हुए जो जवाब दिया, उसे आप भी सुन-समझ-गुन लीजिए। बोले:- यह सन-67 की बात है। सचिवालय में तब मैं वित्त विभाग में संयुक्त सचिव था। एक बार मेरे सचिव ने मुझे बुलाकर कहा कि “यार नृपेंद्र एक काम करो, दरअसल मैं बहुत बिजी हूं और मुख्यमंत्री जी को शाम को कैबिनेट मीटिंग में जाना है। मीटिंग का नोट मुझे तैयार करना है, लेकिन अगर तुम यह खुद बना लो, तो मैं दीगर काम निपटा लूं।”
मैंने “यस सर” कहा और बाहर निकल कर अपने आफिस पहुंचा। नोट बनाया और टाइप करवा कर लंच के बाद उनके पास पहुंच गया। सचिव जी ने नोट पर निगाह डाली, खुश हुए और मेरी तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचे।
वह तो मुझे बात में पता चला कि मुख्यमंत्री जी ने उस नोट को देखते हुए खुश होते हुए सचिव जी की पीठ ठोंकी। लेकिन सचिव जी ने पूरे विनम्रता के साथ कहा कि “सर, यह नोट मैंने नहीं लिखा है, बल्कि मेरा एक जूनियर है, उसने लिखा है। और आपसे अनुरोध है कि अगर आप जब भी मौका मिले, तो उसे बुलाकर उसकी तारीफ कर दें, तो उसकी हौसला-आफजाई हो जाएगी।“
मुख्यमंत्री जी ने अपने निजी सचिव को आदेश दिया और कहा कि “मैं कैबिनेट मीटिंग में जा रहा हूं, नृपेंद्र मिश्र को फौरन बुलाओ। “
इंटरफोन पर निर्देश मिला तो मैं किसी अनिष्ट की आशंका में घबराया और लपक कर कैबिनेट मीटिंग हॉल तक पहुंचा। देखा कि मुख्यमंत्री जी हॉल के गेट पर खड़े हैं और उनके साथ सचिव जी भी खड़े हैं। मेरी हालत खराब हो गयी। समझ गया कि अब हुआ सारा बंटा-ढार। नोट में मैंने गड़बड़ कर ही दिया है। मेरा खून सूख गया। कि अचानक क्या देखता हूं कि सचिव जी ने मुख्यमंत्री जी को मेरी ओर इशारा किया। लगा मैं जैसे यहीं गश खाकर गिर पडूंगा।
मुख्यमंत्री जी ने दो कदम आगे बढ़कर अपना हाथ मेरी पीठ पर थपथपाते हुए कहा, “बहुत अच्छा लिखा है तुमने। इसी तरह समझदारी और ईमानदारी के साथ काम करते रहना। भविष्य में बहुत आगे बढ़ोगे।”
मुख्यमंत्री जी के साथ हुई मुलाकात में उन्होंने किंजल सिंह वाले मेरे प्रश्न के संदर्भ में जोड़ते हुए कहा कि, “मैं आज जो कुछ भी हूं, अपने वरिष्ठों की ईमानदारी के चलते ही हूं। हमें अपने कनिष्ठों के साथ निष्पाप और ईमानदारी भरा प्यार-स्नेह बांटते रहना चाहिए। जैसा मेरे सचिव जी ने किया। “
यह कहने के बाद नृपेंद्र मिश्र ने अपने बायें हाथ से अपनी ऐनक उतारी और दाहिने की हथेली को अपनी आंखों पर पोंछ लिया।
और आज की ताजा खबर यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नृपेंद्र मिश्र को अपना प्रधान सलाहकार मनोनीत कर लिया है।