लखनवी अखबारों में धमाका, छाबड़ा ने दैनिक जागरण छोड़़ा

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: 38 साल से लखनऊ में जागरण की धुरी थे छाबड़ा, रिश्ता मटियामेट हो गया : बोले, जबरिया थोपी जा रही प्रतियां से क्षुब्ध हूं : अब एक के बजाय 13 सेंटरों पर तैनात किया है जागरण ने विक्रय प्रतिनिधि :

कुमार सौवीर

लखनऊ : छाबड़ा न्यूज एजेंसी ने दैनिक जागरण को हमेशा-हमेशा के लिए बाय-बाय कह दिया है। आज लखनऊ में दैनिक जागरण और उसके सहायक समाचार-पत्रों की बिक्री का काम इस एजेंसी ने बंद कर दिया। यहां इन प्रतियों को बेचने के लिए फिलहाल दैनिक जागरण प्रबंधन ने वै‍कल्पिक व्यावस्था कर दिया है।

हालांकि यह खबर फिलहाल केवल लखनऊ के दैनिक जागरण की है, लेकिन इसको लेकर पूरे अखबारी जगत में हंगामा खड़ा हो चुका है। वजह यह कि छाबड़ा का यह फैसला किसी प्रबंधकीय व्यवस्था से आजिज होकर नहीं हुआ है, बल्कि यह सीधे-सीधे अखबारों की बिक्री और उसके कमीशन को लेकर है। ऐसे में जिन हालातों में छाबड़ा न्यूहज एजेंसी ने दैनिक जागरण का दामन छोड़ दिया था, ठीक वैसी ही हालातों में निकट भविष्य मे दीगर अखबारों में उठापटक होने की आशंकाएं बलवती होती दिख सकती हैं।

सन-79 में चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर किताब और अखबार बेचने वाले राजकुमार छाबड़ा ने दैनिक जागरण में पूरे लखनऊ में बिकने वाले दैनिक जागरण की सारी प्रतियां बेचने की एजेंसी ले ली थी। तब केवल पायनियर, निशातगंज, चौक और आलमबाग जैसे ही पांच सेंटर हुआ करते थे। लेकिन इसके बाद से एक के बाद कुल 13 सेंटरों पर छाबड़ा ने दैनिक जागरण का डंका बजा दिया। जनवरी-17 तक वे दैनिक जागरण समूह के एकमेव वितरक थे, जहां एक लाख 80 हजार दैनिक जागरण, 60 हजार आई-नेक्स्ट और 3 हजार इंकलाब की प्रतियां आती थीं।

सूत्र बताते हैं कि एक महीना पहले ही राजकुमार छाबड़ा ने दैनिक जागरण का वितरण बंद करने का यह फैसला जैसे ही किया, हंगामा मच गया। सूत्र बताते हैं कि छाबड़ा के इस फैसले को बदलने के लिए जागरण प्रबंधन ने हर चंद कोशिश कीं, लेकिन अपनी शर्तों पर अड़े छाबड़ा ने इस मामले में बिना किसी ठोस नतीजा के बिना अपना कदम वापस लेने से इनकार कर दिया। नतीजा, पहली जनवरी फरवरी से छाबड़ा ने यह कामधाम छोड़ दिया।

कहने की जरूरत नहीं कि पूरे उत्त‍र प्रदेश में छाबड़ा के पास जितनी प्रतियों की एजेंसी थी, उतनी किसी भी दीगर अखबार की नहीं थी। जाहिर है कि छाबड़ा के इस फैसले से दैनिक जागरण को तो झटका लगा ही है, लेकिन दूसरे अखबारों के प्रबंधकों की भी चूलें हिल चुकी हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इसका गम्भीर असर जल्द ही लखनऊ ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में अखबारों के सर्कुलेशन सम्भालने वाले मैनेजरों की नींद उखड़ जाएंगी। दैनिक जागरण और छाबड़ा के टूटे रिश्तों को लेकर और उससे उपजी परिस्थितियों से जुड़ी खबरों को हम लगातार और सिलसिलेवार प्रकाशित करते रहेंगे। उन खबरों को पढ़ने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:- अखबारों में धमाका

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