एमजीआर शुरू से ही जयललिता को लेकर फैसिनेटेड थे, तब कहां दीखती थीं गोरी कलाइयां

सैड सांग

: थार की तपती रेत से जया का पांव न जले, एमजीआर ने जया को अपनी गोद में समेट लिया था : जयललिता की अंग्रेजी शुरू से ही लाजवाब थी, मर मिटे थे एमजीआर : एमजीआर की मौत के बाद उनके घरवालों ने जया को लाश तक देखने नहीं दिया :

संवाददाता

लखनऊ : अभिनेत्री से राजनेता बनीं जयललिता के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि वो अभिनेत्री कतई नहीं बनना चाहती थीं. वो बहुत अच्छी छात्रा थीं. स्कूल के दिनों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्रा की शील्ड मिली और दसवीं कक्षा की परीक्षा में उन्हें पूरे तमिलनाडु में दूसरा स्थान मिला. गर्मियों की छुट्टियों के दौरान वो अपनी माँ के साथ एक समारोह में गईं जहाँ एक प्रोड्यूसर वीआर पुथुलू ने उन्हें अपनी फ़िल्म में काम करने का प्रस्ताव दिया. उनकी माँ ने उनसे पूछा और उन्होंने हाँ कर दी. अपनी दूसरी ही फ़िल्म में जयललिता को उस समय तमिल फ़िल्मों के चोटी के अभिनेता एमजी रामचंद्रन के साथ काम करने का मौका मिला.

जयललिता पर किताब लिख चुकीं वासंती कहती हैं, “एमजीआर उनसे शुरू से फ़ैसिनेटेड थे. जयललिता बहुत अच्छी अंग्रेज़ी बोलती थीं. जूसरी अभिनेत्रियों और उनमें बहुत अंतर था. शूटिंग के समय वो एक कोने में बैठ कर अंग्रेज़ी उपन्यास पढ़ा करती थीं और किसी से कोई बातचीत नहीं करती थीं. देखने में बहुत सुंदर थी… एकदम गोरी चिट्टी. तमिलनाडु में आमतौर से इतनी गोरी लड़कियाँ नहीं दिखाई देती हैं.”

एमजीआर का जयललिता के प्रति शुरू से ही साफ़्ट कार्नर हो गया था. एक बार थार रेगिस्तान में शूटिंग के दौरान रेत इतना गर्म था कि जयललिता उस पर चल नहीं पा रही थी. तभी एमजीआर ने पीछे से आ कर उन्हें गोदी में उठा लिया था ताकि उनके पैर न जलें. वासंती बताती हैं, “जयललिता ने खुद कुमुदन पत्रिका में लिखा है कि कार पार्किंग थोड़ी दूर पर थी. पैरों में कोई चप्पल और जूते नहीं थे. एक कदम भी नहीं चल पा रही थी. मेरे पैर लाल हो गए थे. मैं कुछ कह नहीं पा रही थी लेकिन एमजीआर मेरी परेशानी को समझ गए और उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.”

एमजीआर और जयललिता के संबंधों में भी बहुत उतार चढ़ाव आए. उन्होंने उन्हें पार्टी के प्रोपेगेंडा सचिव के साथ साथ राज्यसभा का सदस्य भी बनाया. लेकिन पार्टी में जयललिता का इतना विरोध हुआ कि एमजीआर को उन्हें प्रोपेगेंडा सचिव के पद से हटाना पड़ा. इस बीच एमजीआर गंभीर रूप से बीमार हो गए. जब उनका देहांत हुआ तो उनके परिवार वालों ने जयललिता को उनके घर तक में नहीं घुसने दिया.

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