झूठा प्रपंच मचाया, तो सूचना सचिव तक झांसे में आये। जबकि सच पीट दिया गया

सैड सांग

: सच बोलने वाले को पीट कर लहू-लुहान किया, दिग्‍गज पत्रकार अपनी खोल में ही दुबके रहे : बिना औपचारिकताओं के ही छप रहा चौपतिया अखबार, लटके-झटके सन्‍नी लियोन वाले : बड़े पत्रकारों-अफसरों की चुप्‍पी के खिलाफ 25 सितम्‍बर को गांधी प्रतिमा पर धरना देंगे दुखी पत्रकार :

मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता

लखनऊ : दो-कौड़ी के पत्रकार संजय शर्मा ने पिछले दिनो अपने ऊपर हमले को लेकर जिस तरह प्रपंच फैलाया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार और सरकार के सूचना प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी इसके पुरसाहाली के लिए रात मे दफ्तर पहुंचे। यह रवैया सबको हैरान कर गया। जबकि प्रमुख गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक तक को खूब पता था कि यह धंधे की लड़ाई थी, जिसमें शुरूआत संजय ने की, और फिर निर्दोष युवकों को फंसा दिया। इसके बावजूद झूठा मामला बनाने वाले संजय के घर प्रमुख सूचना सचिव हड़बड़ा कर पहुंच गये, पीछे-पीछे एसएसपी दीपक कुमार भी गये।

लेकिन राजेंद्र प्रसाद को आरटीओ आफिस में दलालों ने उस वक्‍त बुरी तरह पीट कर लहू-लुहान कर दिया, जब वे समाचार संकलन के लिए वहां गये थे। राजेंद्र प्रसाद उप्र राज्‍य मुख्‍यालय पर मान्‍यताप्राप्‍त पत्रकार हैं। और सब जानते हैं कि आरटीओ आफिस में दलालों की कितनी आपराधिक गतिविधियां फैली हुई हैं। दलालों और अपराधियों के चंगुल में फंसे इस दफ्तर ने पूरी सरकार की नाक में दम कर रखा है। यहां पत्रकार राजेंद्र प्रसाद का सर बोरे से ढंक कर फोड़ा गया। रक्त भी बहा और पत्रकारिता की फजीहत भी खूब हुई। लेकिन दो-दो मान्‍यता समिति वाले किसी भी नेता ने, या किसी भी दिग्‍गज पत्रकार ने इस मामले में कोई भी हस्‍तक्षेप नहीं किया। किसी ने यह तक पूछने की जरूरत नहीं समझी कि आखिरकार मामला क्‍या है।

पत्रकारिता से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

पत्रकार पत्रकारिता

जबकि दूसरी ओर, जो पत्रकार पुरोधा शर्मा को गोदी मे लिए चमचे बने थे, इस केस मे अन्धे गूंगे और मूक बने रहे। वहीं उसी लखनऊ के कप्तान और प्रमुख सचिव सूचना को हालिया पत्रकार राजेंद्र पर हमला मामूली घटना समझना हैरान करने वाला है। व्यक्तिगत लड़ाई थी जिसमे खून का एक कतरा भी नही बहा। मरता क्या न करता शासकीय दवाब जो मीडिया के पुरोधाओ के घेराव से प्रभावित था और झक मारकर बेकसूर लोग हवालात मे ठूंस दिये गये। महाझूठी कहानी का रचयिता हीरो हमारे पर्दाफाश से नही बन पाया और मामला सरकार भी समझ गयी थी। लेकिन सबसे बडी शर्म की बात तो तब हुई जब लखनऊ के बड़े और स्‍वनामधन्‍य पत्रकारों ने संजय शर्मा के घर-दफ्तर पर दरबारगिरी कर डाली।

राजेंद्र प्रसाद पर हमला और उसके बाद पुलिस के रवैये से पत्रकार शेखर पंडित और कामरान बहुत आहत हैं। इन पत्रकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी में भी आज जीते जी पत्रकार राजेंद्र प्रसाद की हुई हत्या ,, लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारीयों, मंत्रियों के वादे आज झूठे साबित हुए जब जानलेवा हमलावरों पर लगायी गयी संगीन धाराएं पुलिस द्वारा वापस ले ली गयीं — पुलिस का ७ दिन का ये नाटक आज ख़त्म हुआ , हमलावर बेख़ौफ़ होकर घूमने लगे जिस दीपक से रौशनी की उम्मीद थी उसी के झूठे वादों ने आज एक पत्रकार को जीते जी मार दिया

ग्लैमर से लिप्त किसी सी क्लास की हिरोइन का जलवा राजेन्द्र सात जन्म नही ला सकते ऐसे सैकड़ो पत्रकार रोज मरते हैं। अब तो लूट की धारा भी हटा ली गयी और मुजरिम बेगुनाह हो गये। सुनते हैं लिंक गोरखपुर से था तो हाथ बंध गये।अब राजेंद्र प्रसाद 25 को धरने पर बैठ कर अपनी आखिरी गुहार करेगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *