: पत्रकारिता में दलाली विवाद पर सफाई दी इंडिया वायस के स्ट्रिंगर विद्याधर राय ने : मन मे जो गुबार था लिख दिया, शब्द साथ नहीं दे रहे : बहुत ईमानदारी से लिखा है यह स्पष्टीकरण, पर उतनी ही ईमानदारी से धमकी भी दे डाली कि वक्त की किससे यारी है, आज हमारी तो कल तुम्हारी बारी है :
मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता
जौनपुर : आदरणीय कुमार सौवीर सर, सादर प्रणाम।
आपका समाचार पढ़ा, आपकी लेखनी को प्रणाम ।
महोदय,
कल आपसे वार्ता हुई वार्ता के दौरान मैने आपको बताया था कि तकनीकी जानकारी कम होने के कारण मैने अपने फेसबुक की प्रोफाइल अपने एक मित्र से बनवाई थी और उसने मजाक बस स्टडीज प्रोफाइल मे आक्सफोर्ड लिख दिया था। उसके मजाक की सजा मुझे इस रूप में मिलेगी मैने सपने में भी नहीं सोचा था। इसके बावजूद अपने फेसबुक पर लिखे और पोस्ट की गयी सभी सामाग्री की नैतिक जिम्मेदारी मैने लिया । और पता चलते ही मैने अपने गल्तियों को तुरन्त सुधार किया।मैने फेसबुक विचारों के आदान प्रदान का माध्यम माना न कि पत्रकारिता का। मेरा न्यूज चैनल मे काम करना बहुत से लोगों को नागवार गुजरता है। मेरा कोई गाडफादर नहीं है । मैने अपने सीमित संसाधनों में अपनी पहचान बनाने की कोशिश की। कुछ लोगो को रास नहीं आ रहा। और दूसरे के द्वारा की गयी छोटी सी गल्ती भारी पड़ गयी। शायद वक्त को यही मंजूर था।
वक्त की किससे यारी है ,आज हमारी तो कल तुम्हारी बारी है
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हां मैने कुछ अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और गणमान्य लोगों के साथ अपनी तस्वीरे फेसबुक पर पोस्ट किया है । मैं ईश्वर की सौगन्ध खाकर कहता हूं कि आजतक मैने कभी किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि से कभी अपने हित का कोई काम नहीं लिया है। और ईश्वर की कृपा से ना ही मेरे ऊपर कोई आरोप लगा है। मै पूरे गर्व के साथ, पूरे दम्भ के साथ और घमण्ड के साथ आपको विश्वास दिलाता हूं , कि मैने पूरी निष्ठा,पवित्रता और ईमानदारी के साथ और पूरी पवित्रता के साथ पत्रकारिता के मिशन को अंजाम दिया है। अगर किसी पीड़ित को पत्रकारिता के माध्यम से सहूलियत पहुचाना दलाली है तो हां मै दलाल हूं। किसी को सहूलियत पहुचाने की दलाली मैने की है। मै आपसे वादा करता हूं कि अगर किसी ने मेरे ऊपर एक भी आरोप साबित कर दिया तो मैं जीवन भर के लिए पत्रकारिता छोड़ दूगां । और आपको क्या किसी को अपना मुंह नहीं दिखाऊगां।
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रही बात अधिकारियों के साथ फोटो खिचाने की तो कभी किसी कार्यक्रम वगैरह मे उनके साथ फोटो हो गयी तो मैने अपने शब्दों तारीफ के दो शब्द लिख दिया। मेरे पास उनको देने के लिए शायद और कुछ था भी नहीं। लेकिन मेरी मंशा साफ पाक रही है। आपकी लेखनी से मर्माहत हूं । आप अपनी जगह सौ प्रतिशत सही हैं। कुछ लोगों ने पत्रकारिता के स्तर को गिराने का काम किया है। तमाम जिलों के अधिकारियों से आप के जुड़ाव होगें। आप निष्पक्ष और तटस्थ होकर मेरी जांच करा लें । मुझे पूरा भरोसा है कि आपकी धारणा मेरे प्रति बदल जाएगी। और क्या लिखू आपके सामने कुछ लिखना सूरज को दीपक दिखाने के बराबर है। मन मे जो गुबार था लिख दिया। शब्द साथ नहीं दे रहे।
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उम्मीद है आप मेरी भावनाओं को समझने का प्रयास करेगे। एक बार पुनः आपको और आपकी ओजपूर्ण लेखनी को प्रणाम करते हुए आपके आशीर्वाद की कामना है ।
आपका
विद्याधर राय विद्यार्थी
इंण्डिया वायस जौनपुर।