हाईकोर्ट पर उत्पीडऩ का आरोप, रायबरेली के जिला जज का इस्तीफा

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: रायबरेली के जिला जज कमल किशोर शर्मा छह महीना पहले ही यहां भेजे गये थे : कंडीशनल त्‍यागपत्र होने के चलते इस्‍तीफा नामंजूर, शर्मा को अमेठी में ओएसडी बनाया गया : सेंट्रल बार ने भी इस तबादले के औचित्‍य पर हैरानी जतायी : हाईकोर्ट में खदबदाते माहौल से अंसतोष :

कुमार सौवीर

लखनऊ : रायबरेली के जिला सेशन जज कमल किशोर शर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट पर उत्पीडऩ के गम्‍भीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है। हालांकि यह तक यह नहीं पता चल पाया है कि हाईकोर्ट ने जिला जज का इस्‍तीफा मंजूर किया भी है या नहीं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि चूंकि यह इस्‍तीफा कंडीशनल रिजीगनेशन की श्रेणी में है, यानी उसमें आरोप लगाया गया है, इसलिए उसे मंजूर किये जाने का औचित्‍य ही नहीं है। बहरहाल, रायबरेली जिला एवं सेशन जज का पद हाईकोर्ट की वेब साइट से हटा कर उसे रिक्‍त घोषित किया जा चुका है।

खबर यह भी है कि हाईकोर्ट ने शर्मा को अमेठी में विशेष कार्य अधिकारी जैसे महत्‍वपूर्ण पद पर भेज दिया है। हालांकि इस की कोई भी पुष्टि अभी तक नहीं हो पायी है। जबकि शर्मा का इस्‍तीफा वायरल हो चुका है।आपको बता दें कि सोशल मीडिया में वायरल किये गये पत्र के अनुसार जिला जज द्वारा अपने कार्यकाल में अपीलों के रिकार्ड निस्तारण की बात लिखी और कहा है कि सिर्फ 14-15 अपीलें ही शेष हैं। कुछ भी हो, शर्मा के इस्‍तीफे से साफ हो गया है कि हाईकोर्ट में बेहद अंदरूनी उठापटक का माहौल बनता रहा है, जो आज सतह पर जगजाहिर हो गया।

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सूत्रों के अनुसार कमल किशोर शर्मा ने हाईकोर्ट इलाहाबाद के महानिबंधक फैज आलम को अपना इस्तीफा भेजा है, जिसमें उन्होंने त्यागपत्र के कारण भी बताए हैं। कहने की जरूरत नहीं कि यह सारे के सारे आरोप बेहद गम्‍भीर प्रवृत्ति के ही लगाये गये हैं। दूसरी बात यह कि हाईकोर्ट ने फिलहाल अभी उनके इस्तीफे की पुष्टि नहीं की है। ऐसी हालत में यह पूरा का पूरा प्रकरण भी गहरी चर्चाओं में घिरता जा रहा है।

एक अन्‍य सूत्र के अनुसार जिला जज केके शर्मा ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है, लेकिन इस मामले में ज्यादा कुछ कहने से इन्कार भी किया। उन्होंने कहा कि इस्तीफे में जो लिखा है, वह पूरी तरह सही है। उन्होंने यह भी लिखा है कि अधिवक्ताओं की हड़ताल को लेकर उन्होंने हाईकोर्ट को गलत सूचना नहीं दी है। कहा है कि उनका इस्तीफा शीघ्र स्वीकार कर राज्य सरकार को भेज दिया जाए ताकि वह नई पारी शुरू कर सकें। उन्होंने राजनीतिक और लीगल क्षेत्र में नई पारी शुरू करने की बात लिखी है।

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अधिवक्‍ता-वकील

उधर रायबरेली के वकील इस मामले में खासे नाराज बताये जाते हैं। सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री लाल आशकिरन प्रताप सिंह ने जिला जज के स्थानांतरण पर  कहा कि जिला जज के कार्यकाल के दौरान बार और बेंच के बीच बेहतर तालमेल रहा है, ऐसी हालत में इस तरह के तबादले का औचित्‍य समझ में नही आ रहा है।

आपको बता दें कि जिला जज कमल किशोर शर्मा ने करीब छह माह पहले कार्यभार संभाला था। वकीलों के मुताबिक जिला जज अपनी  कार्यशैली और विचाराधीन अपीलों का तेजी से निपटारे की वजह से चर्चा में आए।

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