: अपने जाति-गत आग्रहों को लेकर सुलखान सिंह का रवैया खासा अडि़यल : बेहिसाब भ्रष्टचारी, घोर जातिवादी शख्स के तौर पर लेबल चस्पां हो चुका है आईजी अमिताभ यश : अमिताभ के पक्ष में खुल कर बैटिंग कर रहे हैं डीजीपी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी के एक वरिष्ठ आईपीएस अफसर से मैंने प्रदेश के पुलिस प्रमुख सुलखान सिंह के बारे में बातचीत की। बातचीत के दौरान मैंने उस अधिकारी से सुलखान सिंह के बारे में आम आदमी की राय भी व्यक्त कर दी। मैंने इस अधिकारी को बताया कि सुलखान सिंह तो रूपयों के मामले में बेहद कड़क ईमानदार पुलिस अफसर हैं। मेरी बात पूरी होते ही उस अफसर ने लपक कर तुर्की-ब-तुर्की अंदाज में जवाब दे दिया। बोला:- सुलखान सिंह रूपये-पैसों को लेकर वाकई बहुत ईमानदार हैं। यह बात तो पूरा महकमा भी खूब जानता है। लेकिन पुलिस महकमा यह भी खूब जानता है कि अपने जाति-गत आग्रहों को लेकर सुलखान सिंह का रवैया खासा अडि़यल होता है।
दरअसल, इस अधिकारी से प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम ने यह बातचीत यूपी के एक आईजी को लेकर समाचार संस्थानों में चल रही खबरों पर बातचीत की थी। आपको बता दें कि कुख्यात आतंकवादियों को पंजाब की नाभा जेल में रखा जाता है, जो सर्वाधिक सुरक्षित और कड़े सुरक्षा बंदोबस्तों से लैस है। उसी नाभा जेल को तोड़ कर वहां बंद आतंकवादियों को रिहा कराने की साजिश में आईजी का नाम रिश्वत वसूलने के आरोप में आईबी और पंजाब एटीएस ने कथित तौर पर रिकार्ड किया है। खबरों के अनुसार इन जांच एजेंसियां ने पाया है कि एक करोड़ रूपयों की घूस उगाही में 45 लाख रूपयों की अदायगी के बदले में कुछ आतंकवादियों को छोड़ दिया गया था।
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बहरहाल, यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह ने जिस तरह यूपी के एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश को शुरूआती दौर में द्वारा पंजाब के आतंकवादियों से कथित रूप से रूपये की रिश्वत उगाहने बाद भड़के विवाद पर खासा बवाल खड़ा हो गया है। खुद पुलिस महकमा में भी इस बात पर चर्चा शुरू हो गयी है कि अमिताभ यश के पक्ष में एक बड़ी लॉबी इस समय बेहिसाब ताकत झोंकती दिख रही है। एक वरिष्ठ पत्रकार का साफ कहना है कि अमिताभ यश के पक्ष में सुलखान सिंह खुल कर बैटिंग करते दिख रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इस तरह की चर्चाएं यूपी में जातिगत दबावों के भड़कने की तस्वीर दिखा रही हैं। एक अन्य पुलिस अफसर का कहना है कि इस वक्त तो यह कास्ट-इक्वेशन बेहिसाब उबल चुका है।
एक अन्य पुलिस अफसर ने बताया कि आईबी और पंजाब एटीएस ने अपनी जांच में और आतंकवादियों को फिरौती के तौर पर रकम वसूलने में अमिताभ यश का नाम दर्ज किया है, उस पर कठोर कार्रवाई करने के बजाय यूपी सरकार और डीजीपी ने जिस तरह उदासीन रवैया दिखाया, वह बेहद शर्मनाक है। आरोप लगने लगे हैं कि अमिताभ यश को इसलिए बचाया जा रहा है, ताकि योगी सरकार में कास्ट-एक्वेशन मजबूत होता जाए। इस अधिकारी का साफ मानना है कि इस तरह की प्रवृत्तियां अंतत: खतरनाक ही होती हैं। और खास तौर पर तब, जबकि उसका रिफ्लेक्शन डीजीपी के बयानों तक पर उतर आया हो।
सबसे बड़ी परेशानी तो डीजीपी के उस बयान पर है, कि स्पेशल फोर्स को डिरेल की साजिश भी हो सकती है। हैरत की बात है कि पंजाब की एटीएस और आईबी जैसे अति संवेदनशील और कर्मठ की रिपोर्ट को कितने हल्के में लिया है यूपी पुलिस ने।