चौराहे पर पुलिस ने पीटा पत्रकारों को, चैनल पुक्‍क-पुक्‍क

मेरा कोना

: दोस्तों मुझे कवरेज़  के दौरान बुरी तरह पीटा गया, चिल्‍ला रहा है न्‍यूज नेशन का रिपोर्टर : सभी चैनलों ने मेरा साथ दिया, पर मेरा ही संस्थान भांग कर धड़ाम : क्‍या वाकई स्टिंगर-रिपोर्टर बिलकुल कुक्‍कुर होते हैं, आर्द्र स्‍वर में सवाल उछाल रहे हैं छोटे पत्रकार :

मेरी बिटिया संवाददाता

औरैया : अगर हम लोगो के साथ घटना होती तो अभी तक चैनल तहलका काट चुका होता। स्टिंगर भी इंसान होते है सर। आज जो मेरे साथ हुआ है कल और किसी स्टिंगर के साथ हो सकता है। पर क्या हम स्टिंगर तो कुकुर है। आपके लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया हमने। आपने जब हमें आपकी जरूरत थी, तो आपने मेरे साथ दूध की मक्‍खी से भी बदतर व्‍यवहार किया। हम गर्व से कहते रह हैं कि न्यूज नेशन न्‍यूज चैनल हमारा जीवन है, हमारी सांस है, हमारा लक्ष्‍य और हमारा उद्देश्‍य है। लेकिन हम सड़क पर पिटते रहे, मगर आपके चैनल से कोई भी हमारे पास नही आया मदद के लिए। इस लिए मैं आज न्यूज स्टेट न्यूज नेशन छोड़ रहा हूं। अगर स्टॉफर रिपोर्टर ही सब कुछ है तो स्टिंगर क्यों रक्‍खे जाते हैं। उलटा कानपुर नगर न्यूज के रिपोर्टर आये तो लेकिन हाल चाल पूछने की वजह जानने के बाद बोले: स्ट्रिंगर्स तो कुक्‍कुर होते हैं। मेहनत हम लोग करते हैं, स्टिंगर स्टॉफर क्या करते हैं। उनको तो पकी-पकाई मिलती है।

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बड़ा दारोगा

यह दर्द है न्‍यूज नेशन न्‍यूज चैनल के ओरैया के जिला रिपोर्टर का। मेरी बिटिया डॉट कॉम के साथ एक बातचीत में अश्विनि ने बताया कि आज मेडिकल के दौरान बहुत बुरा हुआ मेरे साथ। कोई गलती हुई होतो मुझे माफ़ करना।  मेरे सभी स्टिंगर भाइयो हमारे साथ क्या क्या हुआ इस वीडियो में देखियेगा। लेकिन आज भी मुझे मेरे संस्थान ने एक बार भी फ्लैश तक नही किया कि मैं पीटा गया हूं। क्योंकि मैं स्टिंगर हूं, कुक्‍कुर हूं न, इस लिए। आप लोगो का इतना प्यार मिला इस छोटे स्टिंगर को न्यूज नेशन की तरफ से अगर कोई गलती की हो तो माफ करना

दो पत्रकार पिट रहे थे, साहब (पुलिस) सो रहे थे !!!!

अगर आप खुद को पत्रकार मानते हैं.. तो ये वीडियो देखने के बाद आपका खून ज़रूर उबाल मारेगा। इससे संबंधित कहानी कुछ यूं है कि बीते शनिवार को औरेया जिले के 2 युवा पत्रकारों अश्वनी बाजपेयी (न्यूज़ नेशन/न्यूज़ स्टेट), अंजुमन तिवारी (चैनल वन) को पुलिस द्वारा ट्रकों से वसूली की जानकारी मिली। खबर बनाने के दौरान उन्होंने देखा कि देवकली चौकी प्रभारी मदन गुप्ता और उनके मातहत के संरक्षण में उक्त वसूली हो रही है। अभी यह लोग पूरे माहौल की रिपोर्टिंग कर रहे थे, कि अचानक करीब आधा दर्जन गुंडे पहुंचकर दोनों पत्रकारों पर ये कहते हुए जानलेवा हमला कर देते हैं। बोले, और बनाओ पुलिस के खिलाफ ख़बर।

हैरत है कि ये घटना देवकली पुलिस चौकी पर घटित हुई। घटना के बाद पीड़ित पत्रकार अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। मुकदमा तो छोडिए, उनका मेडिकल अभी तक पुलिस ने नहीं करवाया। ऐसे में समझा जा सकता है कि छोटे जिलों के पत्रकारों का किस तरह शोषण होता है। वीडियो आपके सामने है…देखने वालों पर निर्भर है कि इसे कौन ‘मजा’ के तौर पर देखेगा और कौन  ‘सजा’ के तौर पर। सोचिएगा… आज ये हैं.. कल हमारा नंबर भी आएगा!!!!

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