अरे यह सरकारी स्‍कूल है। कांवेंट में यह दम कहां !

सक्सेस सांग

: एक प्रधानाध्‍यापक ने किस्‍मत बदल डाली छात्र, विद्यालय, शैक्षिक माहौल और पूरी शिक्षा के मकसद की : निहारिये जरा सम्‍भल के इस फाइव स्टार कॉन्वेंट से भी चमकीला इस सरकारी स्कूल को : अब नयी कहावत बदल दी कपिल मलिक ने कि जाट जिये तब मानिये, जब शिक्षा चमक जाए :

नवनीत मिश्र

सम्‍भल :आंखें तरस गईं थीं किसी सरकारी स्कूल की इतनी खूबसूरती के दीदार को। आज सोशल मीडिया के किसी कोने में वायरल हो रहीं इन तस्वीरें पर नजर पड़ीं तो चौंक गया। सोचा, क्या पंचसितारा कॉन्वेंट स्कूलों की भी चमक को फीकी कर देने वाले ऐसे सरकारी स्कूल हो सकते हैं। हमें लगा कि कहीं ये फोटोशॉप का कमाल तो नहीं। गूगल पर स्कूल का नाम डाला तो पता चला कि स्कूल की तस्वीरें सहीं हैं। कई खबरों में इस स्कूल और प्रधानाध्यापक का गुणगान किया गया है।

ये तस्वीरें अपने यूपी के ही एक सरकारी स्कूल की हैं। फटेहाल सरकारी स्कूलों के इस दौर में इतने सजे-संवरे स्कूल कल्पना से परे हैं। मगर एक कर्तव्यनिष्ठ प्रधानाध्यापक ने अपनी जिद/ जुनून और कर्मठता से सरकारी स्कूल को कान्वेंट से भी ज्यादा चमकीला बना दिया। ये तस्वीरे हैं संभल जिले के प्राथमिक विद्यालय इटायला माफी की। विद्यालय के इस स्वरूप के शिल्पी हैं खुद प्रधानाध्यापक कपिल मलिक। जिन्होंने जेब से पैसा लगाकर इस विद्यालय को इतना खूबसूरत बना दिया। वो भी बड़े ही खामोशी के साथ।

काश, सरकारी कोशिशें प्राथमिक विद्यालयों के सुधार पर केंद्रित होतीं। सरकारी स्‍कूलों से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

सरकार स्‍कूल

और हां, यह स्कूल सिर्फ देखने में ही सुंदर नहीं है, बल्कि यहां पढ़ाई-लिखाई भी एक नंबर की है। स्कूल में कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को प्रत्येक दिन एक घंटे कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाती है। वहीं बच्चों को पढ़ाने के लिए चाक और ब्लैक बोर्ड का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि उसके स्थान पर व्हाइट बोर्ड और मार्कर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे बच्चे आसानी उसे समझ सकें। इतना ही नहीं बिजली न आने पर भी बच्चों को गर्मी नहीं लगती। क्योंकि प्रधानाचार्य ने इसके लिए स्कूल में सोलर लाइट लगवा रखी और स्कूल के सभी पंखे इसी लाइट से चलते है।

स्कूल के गुणगान की खबर मिलने पर जब पिछले साल बीएसए यहां पहुंचे तो वे भी चौंक गए। प्रधानाध्यापक के कामकाज से प्रभावित बीएसए की संस्तुति पर डीएम ने स्कूल के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक मदद भी स्वीकृत की। ऐसे दौर में जब ग्राम प्रधान के साथ मिलकर बच्चों का मिड-डे-मील भी खा जाने के आरोप सरकारी शिक्षकों पर लगते हैं तब ऐसे प्रधानाध्यापक के सामने सिर झुकाने का मन करता है। सैल्यूट कपिल मलिक साहब।

सरकार को चाहिए कि कपिल मलिक को बेसिक शिक्षा परिषद का ब्रांड एंबेसडर बनाए। इससे उनका जहां मनोबल बढ़ेगा, वहीं हजारों शिक्षक अपने-अपने स्कूलों को इसी तरह चमकाने के लिए प्रेरित होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *