5 साल तक जंगलों में बंदरों के साथ रही है मेरीना

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

भेडि़या-मानव रामू से आगे की कहानी है कोलंबिया की मेरीना

: आज भी है अपने बंदर-अभिभावकों के प्रति आभार :: मानव-तस्करों ने अपहरण किया था मेरीना का : आज भी पेड़ों पर छलांग लगा देती है वानर-कन्‍या : बंदर न होते तो जंगली जानवरों का निवाला बन जाती :

क्या आप कपोल-कल्पना और कहानी से अलग एक बच्ची की कहानी सुनना चाहेंगे जिसकी जान बंदरों ने बचायी, बल्कि पूरे पांच-छह साल तक उसको अपने सीने से लिपटाया। और इतना ही नहीं, उन्होंने इस मासूम बच्ची को पाला और पोसा भी। इन बंदरों ने ही उसे अपने ही तरह छलांगें लगाना सिखाया, पेड़ पर लपक कर चढ़ना सिखाया और अपने जैसे ही तरह खाना-पीना तक सिखा दिया। और तो और, अगर इन बंदरों ने उसे गंभीर पेट दर्द से निजात पाने का तरीका नहीं सिखाया होता, तो यह बच्ची बचपन में ही दम तोड़ चुकी होती। इतने बरसों तक जंगलों में बंदरों के साथ रहने के बाद वह किसी तरह अपनी इंसानी बस्ती तक लौट गयी, मगर पूरी दुनिया को जंगल और खासकर बंदरों का गुणगान कर रही है। कभी अबोध रही यह बच्ची आज कई बच्चों की नानी-दादी बन चुकी है। लेकिन आज भी यह महिला अपनी जान बचाने वाले अभिभावक बंदरों के वंशजों के प्रति आभारी है।

हालांकि करीब 50 बरस पहले भारत में एक भेडि़या-मानव की खबर आयी थी। यह एक इंसान बच्चा था, जिसका नाम रामू रख दिया गया था। इस कहानी के मुताबिक यह बच्चा  अचानक जंगल में जंगली जानवरों में फंस गया लेकिन भेडि़यों की एक टोली उनके पास पहुंच गयी। इस टोली ने रामू को पाला और उसे अपने ही तरह मुकम्मल भेडि़या बना डाला था। लेकिन यदि टोली उसे भेडिय़ा नहीं बनाती तो बाकी जंगली जानवर उसे न जाने कब के मार डाल चुके होते।

लेकिन इस भेडि़या-मानव से बिलकुल अलग, यह कहानी है मरीना की। कोलम्बिया की रहने वाली मरीना को करीब 55 साल पहले कुछ अपहर्ताओं ने पकड़ लिया था। दरअसल, यह लोग बच्चों को पकड़ने और उन्हें बेचने का धंधा चलाते थे। मामला था शायद बदले में उसके पिता से भारी फिरौती हासिल करना। मरीना उस समय शायद 4 साल ही रही होगी जब उसके अपहरणकर्ताओं ने उसे दबोचा। यह लोग दक्षिण अमेरिका के वर्षावन से गुजर रहे थे कि जिस ट्रक में मेरीना समेत कई अन्यद बेहोश बच्चों को ले जाया जा रहा था, उसमें मेरीना अचानक ट्रक से नीचे गिर गयी थी। मेरीना को हल्का याद है कि उस समय बाकी बच्चे तो बेहोश थे, जबकि मेरीना को होश आ गया था और उसे चक्कर आ रहे थे। उधर उनके अपहर्ताओं को यह पता ही नहीं चल पाया कि मेरीना ट्रक से नीचे गिर गयी है।

अपने संस्मरण में मेरीना ने बताया कि उसे कोलम्बिया वाले घर से कुछ लोगों ने बेहद भद्दी दवा सुंघा कर बेहोश कर दिया था। बाद में जब उसे होश आया तो वह पायी कि वह ट्रक से गिर चुकी है और अब पूरी तरह अकेली है और केवल कुछ बंदरों का झुंड उसे घूर रहे थे। मेरीना को उस घटना की बहुत हल्की-हल्की याद है कि वह बुरी तरह रो रही थी और बंदरों की टोली के कुछ बंदर उसे छूने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मेरीना उनसे बचने के लिए खुद में ही सिमटती जा रही थी। ( जारी )

तीनों अंक में प्रकाशित इस स्टोरी को पूरी तरह पढ़ने के लिए कृपया क्लिक करें:- भेडि़या-मानव रामू से आगे की कहानी है कोलंबिया की मेरीना (2)

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