अशांत इलाकों में पहली बार चुनाव मैदान में ताल ठोंका दो महिलाओं ने
इस्लामाबाद। अभी चंद ही महीना पहले की ही तो बात है, जब पाकिस्तान के अशांत इलाके में बदलाव की बयार बनी मलाला यूसुफजई को तालिबानी आतंकवादियों ने गोली मार डाली थी। लेकिन आज उसी इलाके से आज फिर महिलाओं ने अपनी मौजूदगी का ऐलान कर दिया है। खबर है कि उत्तर पश्चिम इलाके की दो महिलाओं ने आगामी 11 मई को होने वाले चुनावों के लिए नामांकन पत्र भर कर इतिहास रच दिया है। देश के चुनावी इतिहास में यह पहला मौका है जब कबायली महिलाएं चुनाव में हिस्सा ले रही हैं। हालांकि अब तक मलाला कांड की ओर से आंखें मूंदे रहीं पार्टियों ने इन महिलाओं को टिकट देने का ऐलान किया है। आपको बताते चलें कि इस इलाकों में तालिबानों का कब्जा है और पहले से ही यहां महिलाओं के मतदान तक में हिस्सा न करने पर पाबंदी लागू की जा चुकी है।
खबर है कि 40 वर्षीय बदाम जरी ने रविवार को अशांत कबायली क्षेत्र बाजौर से संसद के निचले सदन नेशलन असेंबली के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। जबकि नुसरत बेगम खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लोअर दीर से चुनाव लड़ेंगी। खैबर पख्तूनख्वा में राजनीति में हिस्सा लेने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन रूढि़वादी कबायली इलाकों में महिलाओं के लिए चुनाव में हिस्सा लेना आसान नहीं है। इस इलाके में कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं। अतीत में कई कबायली समूहों ने कबायली क्षेत्रों में महिलाओं के मतदान में हिस्सा लेने पर पाबंदी लगाई थी।
बाजौर एजेंसी के निर्वाचन अधिकारी असद सरबर ने बताया ने बादाम जरी ने नेशनल असेंबली के लिए 44 नंबर सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया है। नेशनल असेंबली में बाजौर एजेंसी की दो सीटे हैं। जरी ने कहा कि वह कबायली क्षेत्र में महिलाओं की बेहतरी के लिए चुनाव लड़ रही हैं। कबायली क्षेत्र के किसी भी सांसद ने आज तक नेशनल इसेंबली में महिलाओं के मुद्दों को नहीं उठाया है।
इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की जिले की उपाध्यक्ष नुसरत बेगम ने कहा कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगी क्योंकि उनकी पार्टी ने किसी और उम्मीदवार को टिकट दे दिया है। पाकिस्तान में 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली और चार प्रांत की विधानसभाओं के लिए 11 मई को चुनाव होने हैं।