एसपी ने सिर्फ कानून लागू किया। हां, पहले वह आजम की खड़ाऊं पूजता था

सैड सांग

: आजम खान अगर नौकरशाहों पर लानत भेज रहे हैं, तो उसमें गलत क्‍या है : पोलिसिंग को ताक पर रख कर विकास को लेकर डींगें बांध रहे थे रामपुर के पुलिस अधीक्षक : तब सारे घोड़े खोल दिये थे इस अफसर ने आजम की तारीफों के :

कुमार सौवीर

लखनऊ : नौकर भले ही अपने मालिक का बेहिसाब वफादार हो, आपके इशारे पर चलता हो, चेतक घोड़े की तरह इशारा पाने से पहले ही हुक्‍म का पालन कर बैठता हो। कितना भी आज्ञाकारी हो, कितना भी पालतू हो। लेकिन अगर वह जरा भी बिदक गया, तो समझिये कि आप या तो खुद चोट खा जाएंगे या फिर उसे पागल करार देकर सीधे गोली मार देंगे। रामपुर में आजकल यही तो चल रहा है। यहां मोहब्‍बत के मारे एक आशिक अब अपनी माशूका से धोखा कर बावला बन चुका है। गली-मोहल्‍ले में भटकता और सदाएं देता घूमता है कि उसकी सोनम गुप्‍ता अब बेवफा हो गयी है।

जी हां, रामपुर में ब्‍यूरोक्रेसी और टोपीक्रेसी अब अपने आचरण को लेकर सवालों के घेरों में आ चुकी है। भले ही चुनाव आयोग ने आजम की बन्‍दूक से सारी गोलियां निकाल डाली हैं, लेकिन रामपुर के नवाब आजम खान साहब ने अब अपनी बन्‍दूक को रामपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक पर लगातार निशाने पर ही रख रखा है। आजम खान का गुस्‍सा तो इस बात का है कि यहां के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक पहले तो उनकी हर हां पर हां किया करते थे, लेकिन अब उन्‍होंने अपने सुर बदल दिये हैं।

आजम खान की बात और शिकायत तो वाजिब ही है। यह दोनों ही अधिकारी पहले किसी पालतू नौकर की तरह आजम खान के हर हुक्‍म को बजाया करते थे। रात को दिन और दिन को रात साबित करने में अपनी शान और ड्यूटी समझा करते थे। लेकिन अचानक निर्वाचन आयोग ने आचार-संहिता क्‍या लागू कर दी, इन दोनों की भृकुटी ही टेढी और नजरें बदल गयी। जिन्‍हें आजम खान के एक इशारे पर जो लोग झूठी पत्‍तलें उठाने की ड्यूटी बा-खुशी करना अपना सौभाग्‍य समझा करते थे, वे हुक्‍म-उदूली पर आमादा हो गये हैं, यह कैसे बर्दाश्‍त कर सकते हैं आजम खान। बस यही दिक्‍कत है रामपुर के छोटे नवाब को।

हम आपको वह वीडियो दिखाते हैं जो आचार-संहिता लागू होने से पहले रामपुर के पुलिस अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद पांडेय ने भरी सभा में बोला था। इस एसपी ने आजम खान की मौजूदगी में बाकायदा यह तक ऐलान कर दिया था कि रामपुर में आजम खान ने इतना विकास करा दिया है कि अब उनके खिलाफ अगले चुनाव में किसी को भी खड़ा नहीं होना चाहिए। किसी टुटपुंजिया नेता तक को मात करने वाले अंदाज में कप्‍तान यानी रामपुर के इस बड़े दारोगा ने आजम खान की भूरि-भूरि प्रशंसा कर डाली थी।

इस लिंक पर क्लिक कीजिए, और फिर आपको पता चलेगा कि इस वीडियो में होंठ और दांत चियार-चियार कर, मुस्‍की मार-मार कर आजम खान को खुश करने की कोशिश करने वाला शख्‍स क्‍या वाकई किसी जिले के पुलिस अधीक्षक बनने लायक है:- यही हैं कप्‍तान साहब

धत्‍त ते री की।

अरे बड़े दारोगा जी। राजेंद्र प्रसाद पांडेय को अभी एक महीना पहले ही रामपुर के कप्‍तान की कुर्सी थमायी दी गयी थी। वह भी तब, जब अखिलेश यादव की फ्लीट में अराजकता हुई, नतीजा तब के एसपी संजीव त्‍यागी ने इस मामले में तीन एएसपी और पांच सौ से ज्‍यादा पुलिसवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संस्‍तुति कर दी थी। लेकिन सरकार ने उल्‍टे त्‍यागी को ही लाइन हाजिर करने की शैली में लखनऊ के सहकारिता विभाग में भेज दिया। उनकी जगह आये राजेद्र पांडेय की तो मानो लॉटरी ही लग गयी। वे लगे आजम खान की ढफली कूद-कूद कर ढफ-ढफ बजाने। पोलिसिंग के बजाय, इस बड़े दारोगा ने जिले के विकास की बीन बजाना शुरू कर दिया। इसी को तो सीमा-पार चले जाना कहा जाता है, जो राजेद्र पांडेय ने कर डाला।

अब अचानक आचार-संहिता लागू हुई तो इस बड़े दारोगा को लगा कि बदले निजाम में खुद को फिट करना है तो आजम की खड़ाऊं की उपासना करना बंद करना होगा। उधर जब आजम ने पाया कि उनकी खड़ाऊं पर धूल चढ़ती जा रही है, तो आजम अब खौखिया कर ब्‍यूरोक्रेसी पर चढ़ गये। सवाल यह है कि आजम खान ने इसमें क्‍या गलत किया। क्‍या आपको नहीं लगता है कि बड़े और अहम पदों में बैठे नौकरशाहों को अपनी सीमाओं में रहना चाहिए। खोल से बाहर निकलोगे, तो हालत यही होगी जो रामपुर के डीएम और एसपी की हो रही है।

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