न बांस न लग्गी, फिर क्यों नाम रख दिया सिक्वेल का
गुड़गांव : करीब डेढ़ दशक पहले आई राहुल रॉय व अनु अग्रवाल की सुपरहिट फिल्म आशिकी के सीक्वल के रूप आशिकी टू दर्शकों के दिल में जगह नहीं बना पाई। दर्शकों को निराशा हाथ लगी। फिल्म के म्यूजिक रिलीज के बाद दर्शकों को लगा था कि शायद फिल्म भी अच्छी हो, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिल्म को शहरी दर्शकों ने औसत भी नहीं बताया।
राहुल रॉय व अनु अग्रवाल वाली फिल्म आशिकी देख चुके दर्शकों को आशिकी टू नहीं भाई। दर्शक पुरानी फिल्म आशिकी से तुलना करके देखते हैं तो नई को कहीं नहीं पा रहे। फिल्म देख लौटे निरंजन शर्मा का कहना था कि फिल्म की कहानी अच्छी है लेकिन आशिकी से उसकी तुलना करने पर निराशा होगी। वहीं प्रेरणा, प्रियंका अंजलि के मुताबिक फिल्म मनोरंजन के लिहाज से बस ठीक है। लव स्टोरी को एक अच्छा ऐंगल दिया गया है जो आज की फिल्मों में नहीं देखने को मिलता। सीक्वल से जितनी उम्मीद थी यह फिल्म उस पर खरी नहीं उतरती। हालांकि आदित्य राय कपूर व श्रद्धा कपूर की जोड़ी बेहद पसंद आई। मोहित सूरी का निर्देशन भी अच्छा लगा। शहर के दर्शकों को फिल्म कम पसंद आई। प्रेरणा के मुताबिक अगर सीक्वल जैसा कुछ नहीं था तो फिल्म को सीक्वल क्यों कहा गया? इससे फिल्म को ही नुकसान हो रहा है। वजह, लोग तो सीक्वल सोचकर ही सिनेमा हॅाल में घुसते हैं। ओवरऑल फिल्म सो-सो लगी।