कहीं सरेआम तो कहीं घरेलू कलह: देश के हर कोने में केवल आर्तनाद
( आग में भस्म होती बेटियां ) महिलाओं के बारे में देश में एक नया दस्तूर-रिवाज बनता जा रहा है खुद को आग के हवाले कर देना। पिछले पखवाड़ा में हुई ऐसे वारदातों को खंगालें, तो पता चलता है कि खुद को आत्मदाह करने पर आमादा महिलाओं ने देश के हर कोने-कुतरे तक में अपनी दर्दनाक दास्ता-न खुरेच डाली हैं। कहीं सरेआम नंगा दिये जाने पर शर्मसार बच्चियों ने खुद पर पेट्रोल डाल कर खुद को आग के हवाले कर दिया है, तो कहीं भद्दे आरोपों से क्षुब्ध कर एक मां ने अपने तीन बच्चों को लेकर खुद को भस्म कर डाला। इस मां ने यह तक नहीं देखा कि वह खुद गर्भवती भी थी। दीगर हादसों में कहीं बलात्कार हो गया तो कहीं जबरिया आरोपों की बौछारों का जवाब। और तो और, देश की राजधानी तक में आत्मदाह की वारदातें दर्ज की गयी हैं। गुना की घटना हो या बठिंडा, आजमगढ का कांड हो या फिर। फरीदकोट की लपटें हो या फिर राजधानी दिल्ली की। और तो और, झारखंड में रांची के वीमेंस कॉलेज में चार युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया। आखिरकार शर्मसार इस बेटी ने खुद पर आग लगाकर अपनी इहलीला खत्म कर डाली। हालांकि पुलिस ने इस मामले पर खुदकुशी बताते हुए अपना पल्ला झाडने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में रिम्स में हुई पोस्टमार्टम में जो रिपोर्ट आयी उससे पुलिसवालों के चेहरों पर भी कालिख पुत गयी।
आइये, देखते हैं कि कितने दर्दनाक माहौल में जी रही हैं हमारी बेटियां। हालात ऐसे भी इतने भयावह कि उससे निपटना तक उनके बस में नहीं। सिवाय इसके कि वे खुद को आग के हवाल कर दें और उसके साथ ही अपने बच्चों को भी भस्म कर डालें। समाज और पुलिस उनके लिए मायने नहीं रखते हैं। बल्कि समाज और पुलिस की भूमिका इन बेटियों के दर्द को और भड़का देना ही होता है। हालातों की भयावहता को रेखांकन के लिए हमें इन काले अतीत बन चुके इतिहास के पन्नों को किश्तवार प्रकाशित करने जा रहे हैं ताकि एक बार फिर समाज और हमारी पुलिस को झकझोरा जा सके। बावजूद ताजा हालातों में तो यह दोनों ही ताकतें महिलाओं के खिलाफ भी हथियार उठाये दीखती हैं। कभी उनकी दिक्कतों को अनदेखा कर, तो कहीं यह कह चार बच्चों की मां की बूढी मां के साथ कौन बलात्कार करेगा।
और हां, अगर आपको इन खबरों से निपटने का कोई तरीका आता है, तो कृपया हमें भी बताइयेगा जरूर। इस खबर की अगली कड़ी क्रमश:
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