सुतापा सान्याल को छोडि़ये, मेरी नजर में तो वह बहादुर बच्ची भारत-रत्न की हकदार है
: उसने अपनी दिखायी, और अपनी जिन्दगी को अपनी शर्त पर मौत के हवाले किया : दुराचारी और हत्यारे उस पर जुल्म ढाते रहे, मगर वह जूझती ही रही : फिर ऐसे आला अफसरों की क्या जरूरत, जो अपने दायित्वों को अपने स्वार्थो की वेदी पर बलि दे दें : चलिए, छेड़ दें “ना” कहने […]
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