यूपी सत्‍यानाश : चतुर्थश्रेणी की नौकरी में पीएचडी-बीटेक और एमबीएधारी पहुंचे

सैड सांग

: तीन साल तक सिर्फ गाल ही बजाते रहे नेता, युवाओं की हालत गम्भीर : सरकारी नौकरी तो दूर, प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी पाना दूभर : एमबीए-इंजीनियर जैसी बड़ी डिग्रियां भी 5-7 हजार महीने तक सिमट चुकीं : स्वरोजगार के लिए भी कोई व्यापक नीति नहीं सरकार के पास :

नवजोत सक्सेना

पीलीभीत : अखिलेश सरकार में जब सचिवालय में निकली चतुर्थ श्रेणी की भर्ती के लिए पी एच डी , बी टेक , एम बी ए पास युवाओ ने आवेदन किया तब ही ये समझ जाना चाहिए था सरकार और नेताओं को कि देश मे युवाओं की दशा क्या है।  देश का युवा बिल्कुल भटका हुआ है उसे  सरकारी नौकरी तो दूर प्राइवेट भी नसीब नहीं हो रही , आज के समय में कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब पाना भी दाँतो तले लोहे के चने चबाने जैसा है। बिना जान पहचान सिफारिश के वहां भी कोई कद्रदान नहीं।

युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में नौकरी पाने के लिए भी बहुत हाथ पैर मारने पड़ते हैं। और जैसे तैसे मिल भी जाये लेकिन सैलरी का झाम । खासकर C कैटेगरी के शहरों में बड़ी समस्या से जूझना पड़ता है। इन शहरों में 5-7 हजार से ज्यादा  कोई नहीं दिखाता न जाने कितने युवा जो एमबीए ,कंप्यूटर कोर्सेस किये हुए हैं मजबूर हैं 5-7 हजार की नौकरी करने को मजबूर हैं।  क्योंकि इन शहरों में जन्म लेना उनके लिए अभिशाप है और वो शहर से बाहर जाकर नौकरी करने में असमर्थ है।  वजह की वी वहाँ का खर्चा तौर तरीकों पर रहन सहन पर खर्चे को वहन करने में असमर्थ हैं उन्हें पहले दिन से ही रोटी पानी की व्यबस्था चाहिए । बहुत ही घोर अंधकार में जा रहा है इनका भविष्य साथ ही इनका टैलेंट भी दब रहा है । ये बहुत चिंता का विषय है एवम किस सरकार ने इस पर क्या काम किया ये भी सोचने का विषय है ।

अब बात कर ले जरा व्यापार की तो खानदानी व्यापारी हैं तब तो ठीक लेकिन अगर जरा सा भी आप जोखिम उठा कर अपना खुद का व्यापार करने के लिए सोच रहे हैं तो उसमें सरकार की ओर से आपको कोई मदद नहीं बल्कि सरकारी मशीनरी आपका पैसा चूसने को तैयार बैठी है चाहे व्यापार रजिस्ट्रेशन के नाम पर या अन्य किसी मद में हर जगह लुटाने के लिए आपके पास भरपूर पैसा होना चाहिए तब आप किसी व्यापार की शुरुआत करने की सोचे । देश की बैंकिंग प्रणाली बहुत ही लचर है व्यापार स्टार्टअप के लिए कोई सुनियोजित योजना अभी तक बैंकिंग प्रणाली में नहीं देखी गयी ये कह लो कि अगर आपके पास प्रॉपर्टी या वैल्युएबल गारंटर हैं तब लोन मिल सकता है वो भी बिजनेस शुरू करने के बाद यहां भी मार गरीब बेरोजगार युवाओं पर। न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी। देश की सरकारें बनाने में सबसे बड़ा योगदान युवाओं का होता है , भारत सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है परन्तु भारत के युवाओं पर तो बेरोजगारी के बादल मंडरा रहे हैं देश की एक बड़ी आबादी पलायन करने को मजबूर है ।

देश के युवाओं को वर्तमान सरकार से बहुत उम्मीदें थी उन्ही उम्मीदों के सहारे युवाओं की बड़ी भागीदारी थी ये सरकार बनाने में परन्तु तीन साल बाद भी कोई नीति सरकार ने ऐसी नहीं बनाई युवाओ के भविष्य के लिए जिस से कोई एक भी उम्मीद की किरण युवाओं को दिख सके ।

तीन साल का समय पर्याप्त होता है। देश का युवा आज भी पथ भ्रमित है , निराश है , खामोश है सहनशील है , मगर कब तक ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *